बालश्रम

तर्ज:  तुझे कितना चाहने लगे हम

बच्चों का दुख, दूर करें हम
एक प्रतिज्ञा आओ ले लें हम
ऐसा अपराध मिटा के रहो
इनपे न तुम ढाओ सितम

 इनको पढ़ाओ सभ्य बनाओ
  दुनिया में नाम कमाओ
प्रण है करके रहेंगे ये खतम
ये कलंक मिटा के रहेंगे हम।
बात सबको बताएँगे हम
प्रण है करके रहेंगे ये ख़तम-2

फैल कैसे गयी
बालश्रम की प्रथा,
बन्द अब कर भी दो
ये पुरानी कुप्रथा
 बचपना छिन गया
  देखो इनका यहाँ
   क्या पढ़ेंगे ये
देखो जा के वहाँ
दुर्भाग्यपूर्ण बात है ये
देश के लिए श्राप है ये
प्रण है करके रहेंगे ये खतम
है कलंक मिटा के रहेंगे हम।

रचयिता
आकांक्षा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर,
विकास खण्ड-सुरसा, 
जनपद-हरदोई।

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