वंदन है फतेहपुर के बलिदान को
तर्ज- हम कथा सुनाते राम सकल ....
हम वंदन करते फतेहपुर के बलिदान को
कुर्बान हुए जो स्वतंत्रता संग्राम को,
शत-शत बार नमन है वीरों के बलिदान को।
नाना तात्या के साथी जोधा सिंह अटैया
प्रथम आजादी का बिगुल बजाया,
केंद्र बिंदु खजुहा को बनाया।
10 जून 1857 क्रांति वीरों ने कदम बढ़ाया,
फतेहपुर को आजाद कराया,
अंग्रेजों को खूब छकाया,
प्रयाग, कानपुर को भी आजाद कराया।
क्रांतिवीरों के साथ देशद्रोही पनपा,
जिसने दिया देश को धोखा
मुखबिर से अंग्रेजों ने सूचना पाई,
52 क्रांतिकारियों को फाँसी पे चढ़ाया।
28 अप्रैल 1858 हुआ वृक्ष इमली का पावन,
साक्षी वृक्ष तीर्थ है बावन बलिदान का।
जहाँ स्मारक बना है बावन इमली नाम का,
जो है संदेश विश्व को पावन बलिदान का।
सौभाग्यशाली हैं हम, जो जुड़े हैं ऐसे धाम से,
हम वंदन करते फतेहपुर के बलिदान को,
कुर्बान हुए जो स्वतंत्रता संग्राम को।
शत-शत बार नमन है वीरों के बलिदान को।..
हम वंदन करते फतेहपुर के बलिदान को
कुर्बान हुए जो स्वतंत्रता संग्राम को,
शत-शत बार नमन है वीरों के बलिदान को।
नाना तात्या के साथी जोधा सिंह अटैया
प्रथम आजादी का बिगुल बजाया,
केंद्र बिंदु खजुहा को बनाया।
10 जून 1857 क्रांति वीरों ने कदम बढ़ाया,
फतेहपुर को आजाद कराया,
अंग्रेजों को खूब छकाया,
प्रयाग, कानपुर को भी आजाद कराया।
क्रांतिवीरों के साथ देशद्रोही पनपा,
जिसने दिया देश को धोखा
मुखबिर से अंग्रेजों ने सूचना पाई,
52 क्रांतिकारियों को फाँसी पे चढ़ाया।
28 अप्रैल 1858 हुआ वृक्ष इमली का पावन,
साक्षी वृक्ष तीर्थ है बावन बलिदान का।
जहाँ स्मारक बना है बावन इमली नाम का,
जो है संदेश विश्व को पावन बलिदान का।
सौभाग्यशाली हैं हम, जो जुड़े हैं ऐसे धाम से,
हम वंदन करते फतेहपुर के बलिदान को,
कुर्बान हुए जो स्वतंत्रता संग्राम को।
शत-शत बार नमन है वीरों के बलिदान को।..
रचयिता
सुमन पांडेय,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय टिकरी मनौटी,
शिक्षा क्षेत्र -खजुहा,
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