बाल श्रम

एक अभिशाप है समाज में बाल मजदूरी,
बच्चों की जिंदगी रह जाती है इससे अधूरी।

जब पढ़ने जाने की उम्र में बच्चों ने यह काम किया,
सोनू, मोनू, मुन्ना, बंटी तो छोटू किसी ने नाम दिया।

रद्दी बीनते कपड़ा बुनते तो कहीं चाय की दुकान पर,
बच्चे काम करते मिल जाएँगे फैक्ट्री या मकान पर।

गैरकानूनी काम है जो मालिक या अभिभावक कराते हैं,
कुछ पैसे के खातिर बच्चों का जीवन खराब कर जाते हैं।

शारीरिक श्रम मानसिक जो बच्चों से करवाएगा,
50000 का जुर्माना लगेगा 3 साल को जेल जाएगा।

रुक जाता उनका विकास बच्चे जब काम करते हैं,
सँवर जाएगा उनका जीवन अगर शिक्षा पूरी करते हैं।

नन्हें-मुन्ने इन बच्चों को पढ़ने दो स्कूल में,
अपने थोड़े स्वार्थ के खातिर मत झोंको बालश्रम की धूल में।।

रचयिता
शहनाज बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय भौंरी -1,
विकास क्षेत्र-मानिकपुर,
जनपद-चित्रकूट।

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