परिन्दों का ख्याल

हमें नहीं चिन्ता है उनकी,
अब यह बात पुरानी।
हम सब मिलकर देंगे,
अब चिड़ियों को दाना-पानी।।
दादी और नानी से रोज
कहानी सुना करते थे।
बचपन में ना जाने
कितने सपने बुना करते थे।
हर रोज हर दिन अब तो
हम रचेंगे नयी कहानी।
हम सब मिलकर देंगे,
अब चिड़ियों को दाना-पानी॥
प्रकृति में असंतुलन के
हम खुद ही जिम्मेदार हैं।
पशु-पक्षियों से सीखें
हरदम कितने होशियार हैं।
दैवीय आपदाएँ झेल रहे,
अब नहीं करेंगे नादानी।
हम सब मिलकर देंगे,
अब चिड़ियों को दाना-पानी॥
बाढ़ कभी तो सूखा,
भूकम्प आया तो कभी सूनामी।
मानव होने का घमण्ड था,
करते आये हम मनमानी।
आने वाली पीढ़ी को हम
देंगे सीख व नई निशानी।
हम सब मिलकर देंगे,
अब चिड़ियों को दाना-पानी॥
पेड़ काटकर अब उनके,
हम घोंसले नहीं उजाड़ेंगे।
मीठे फलदार पौधे लगाकर
उनको आश्रय देंगे।
नयी मिसाल देंगे दुनिया को,
हर एक हिन्दुस्तानी।
हम सब मिलकर देंगे,
अब चिड़ियों को दाना-पानी॥
           
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।

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