अक्षय तृतीया

वैशाख मास में शुक्ल पक्ष,
की तृतीया होती अक्षय तृतीया।
चलो अब घर में ही रहकर,
हम मनाएँ शुभ अक्षय तृतीया।।
परशुराम जी ने तृतीया के ही दिन,
लिया था माँ रेणुका से आवेशावतार।
वेदव्यास जी ने तृतीया के ही दिन,
महाकाव्य महाभारत लिखना किया प्रारंभ।।
गरीब सुदामा ने तृतीय के ही दिन,
भोजन कराया मित्र प्रभु कान्हा को,
और बदले में पाया खूब ऐश्वर्या।
बांके बिहारी में तृतीया के ही दिन,
होते हैं प्रभु जी के चरणों के दर्शन।।
तृतीया के ही दिन बिना पंचांग देखें,
होते सभी शुभ मांगलिक कार्य।
आभूषण, घर, वाहन खरीदे जाते,
विवाह गृह प्रवेश भी हो जाते।।
वैशाख मास में शुक्ल पक्ष,
की तृतीया होती अक्षय तृतीया।
चलो अब घर में ही रहकर,
हम मनाएँ शुभ अक्षय तृतीया।।

रचयिता
दीपिका सक्सैना,
इं• अध्यापिका,
करेली की मढ़ैया,
विकास खण्ड-बनिया खेड़ा,
जनपद-संभल।

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