बेटे की अभिलाषा
माँ मुझको बंदूक दिला दो,
मैं सेना में जाऊँगा।।
कब से गए हैं वहाँ पिताजी,
उनको संग में लाऊँगा।।
दिवाली की रात है आई,
क्यों ना बनाई तूने मिठाई,
ना बिंदिया, ना मेहंदी लगाई,
ना ही तूने लोरी सुनाई,
माँ अब तो थोड़ा मुस्कादे,
वरना मैं रो जाऊँगा।।
कब से गए हैं वहाँ पिताजी,
उनको संग में लाऊँगा।।
चिंटू मिंटू के पापा आए,
सबको कपड़े पटाखे लाए,
सब पहन खूब इतराए,
मुझे देख सारे खिलखिलाये,
आने दो मेरे पापा को
सारी बात बताऊँगा।।
कब से गए हैं वहाँ पिताजी
उनको संग में लाऊँगा।।
पूछ रहा जब इसी बात को,
कुछ क्षण बीते आधी रात को,
सजा कफन सैनिक ले आए,
प्यारे पिताजी की लाश को,
बोला बेटा मत रो मैया,
पिता का कर्ज चुकाऊँगा।।
माँ मुझको तू पता बता दे
दुश्मन को मार गिराऊँगा।।
माँ मुझको बंदूक दिला दे,
मै सेना में जाऊँगा।।
रचयिता
हेमलता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
मैं सेना में जाऊँगा।।
कब से गए हैं वहाँ पिताजी,
उनको संग में लाऊँगा।।
दिवाली की रात है आई,
क्यों ना बनाई तूने मिठाई,
ना बिंदिया, ना मेहंदी लगाई,
ना ही तूने लोरी सुनाई,
माँ अब तो थोड़ा मुस्कादे,
वरना मैं रो जाऊँगा।।
कब से गए हैं वहाँ पिताजी,
उनको संग में लाऊँगा।।
चिंटू मिंटू के पापा आए,
सबको कपड़े पटाखे लाए,
सब पहन खूब इतराए,
मुझे देख सारे खिलखिलाये,
आने दो मेरे पापा को
सारी बात बताऊँगा।।
कब से गए हैं वहाँ पिताजी
उनको संग में लाऊँगा।।
पूछ रहा जब इसी बात को,
कुछ क्षण बीते आधी रात को,
सजा कफन सैनिक ले आए,
प्यारे पिताजी की लाश को,
बोला बेटा मत रो मैया,
पिता का कर्ज चुकाऊँगा।।
माँ मुझको तू पता बता दे
दुश्मन को मार गिराऊँगा।।
माँ मुझको बंदूक दिला दे,
मै सेना में जाऊँगा।।
रचयिता
हेमलता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
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