बालश्रम एक अभिशाप

तर्ज-मुझे इश्क है तुम्हीं से मेरी जान जिन्दगानी ....

उपहार जिन्दगी का बचपन अमोल प्यारे!
जी भर के प्यार कर ले तू ना इसे सता रे!!

मजबूरी चाहे जो भी मजदूरी ना कराना!
है बाल मन ये कोमल कोई ना इसे डराना!!
मीठा हो इनका जीवन रस ऐसा घोल प्यारे...
जी भर के प्यार कर ले तू ना इसे सता रे...!!
उपहार जिन्दगी का बचपन अमोल प्यारे..

शिक्षा के गीत इनके कण्ठों में भी समाए!
अधिकार जो मिला है बोझा ये क्यों उठाए!!
ये भी तो चाहते हैं मीठे दो बोल प्यारे....
जी भर के प्यार कर ले तू ना इन्हें सता रे..!!
उपहार जिन्दगी का बचपन अमोल प्यारे....

अभिशाप बालश्रम है सबको है ये बताना!
हो जागरूक जन-जन, कर्तव्य है निभाना!!
महँगा पड़ेगा तुझको लालच का मोल प्यारे ...
जी भर के प्यार कर ले तू ना इन्हें सता रे!!
उपहार जिन्दगी का बचपन अमोल प्यारे....

मासूम ये निगाहें मंजिल निहारती हैं!
पलकों में लेके मोती पल-पल पुकारती हैं!!
इनको थमा के पोथी पिंजरे को खोल प्यारे ...
जी भर के प्यार कर ले तू ना इन्हें सता रे ...
उपहार जिन्दगी का बचपन अमोल प्यारे...
जी भर के प्यार कर ले तू ना इन्हें सता रे!!

रचयिता
हरीकान्त शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुखराई,
विकास खण्ड-मथुरा सदर,
जनपद-मथुरा।

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