देश का मान बढ़ाऊँगा
मैं रुकूँगा नहीं
थकूँगा नहीं;
निरंतर बढ़ूँगा
सत्य पथ पर चलूँगा
परंतु झुकूँगा नहीं!
निःस्वार्थी हूँ
अभिमानी नहीं;
कटु ही सही परंतु
सत्य वचन बोलूँगा
देश के लिए जीयूँगा
वतन के लिए मरूँगा!
निर्धन,दयालु हूँ
निर्दयी नहीं;
सदैव आदर करूँगा
अपमान न सहूँगा
छोटों को प्रेम
बड़ों का चरण छुऊँगा!
सभी का मित्रवत हूँ
किसी का शत्रु नहीं;
व्यवहार सरल रखूँगा
माँ का भक्त हूँ
विरक्त नहीं,
नारी को सम्मान देकर
देश का मान बढ़ाऊँगा!!
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।
थकूँगा नहीं;
निरंतर बढ़ूँगा
सत्य पथ पर चलूँगा
परंतु झुकूँगा नहीं!
निःस्वार्थी हूँ
अभिमानी नहीं;
कटु ही सही परंतु
सत्य वचन बोलूँगा
देश के लिए जीयूँगा
वतन के लिए मरूँगा!
निर्धन,दयालु हूँ
निर्दयी नहीं;
सदैव आदर करूँगा
अपमान न सहूँगा
छोटों को प्रेम
बड़ों का चरण छुऊँगा!
सभी का मित्रवत हूँ
किसी का शत्रु नहीं;
व्यवहार सरल रखूँगा
माँ का भक्त हूँ
विरक्त नहीं,
नारी को सम्मान देकर
देश का मान बढ़ाऊँगा!!
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।
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