हमारे बेसिक के प्यारे बच्चे

हमारे प्यारे बेसिक के बच्चे,
तुम हो कितने प्यारे, कितने सच्चे।।

हम शिक्षक तुम्हें पढ़ाते,
तुम पढ़-लिखकर कुछ बन जाते,
नयी-नयी शिक्षाविधि से,
नये-नये टी.एल.एम.गतिविधि से,
तुम्हारे मन में सदाचार,
नैतिकता के गुण सजाते।।

हमारे प्यारे बेसिक के बच्चे,
तुम हो कितने प्यारे, कितने सच्चे।।

सुबह से आते अपनी फूलवारी में,
हम शिक्षक संग तुम मिल जाते,
फिर पठन-पाठन क्रिया को,
पढ़ते और पढ़ाते।।

हमारे प्यारे बेसिक के बच्चे,
तुम हो कितने प्यारे, कितने सच्चे।।

एम.डी.एम.नुसार भोजन करते,
और खेलकूद में आनंद लेते,
और फिर पठन-पाठन क्रिया को आगे बढ़ाते।।

हमारे प्यारे बेसिक के बच्चे,
तुम हो कितने प्यारे, कितने सच्चे।।

नित्य नवाचार को हम अपनाते,
इस तरह हम शिक्षक अपने,
बेसिक के बच्चों का भविष्य सजाते,
उन्हें सुन्दर, सरल, सच्चे बनाते।।

हमारे प्यारे बेसिक के बच्चे,
तुम हो कितने प्यारे, कितने सच्चे।।

हम शिक्षक बेसिक के स्वरुप की नयी तस्वीर बनाते,
हम अपने बेसिक के बच्चों को जीवन में आगे बढ़ना सिखाते,
क्योंकि हमारे प्यारे बेसिक के बच्चे,
तुम हो कितने प्यारे, कितने सच्चे।।

रचयिता
शालिनी सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय जानकीपुर,
विकास खण्ड-सिराथू,
जनपद-कौशाम्बी।

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