मत घबरा

अभी मंजिल है दूर बहुत,
राह में हैं काँटें बड़े,
लेकर ज्ञान-दीप चल आगे,
मत घबरा, मत घबरा।

लक्ष्य साध भर ले जोश,
चलना है अभी दूर बहुत,
बस कर ले इरादा पक्का,
मत घबरा, मत घबरा।

तोड़े न कोई छल-कपट,
ना ही बदनियति दुश्मन की,
सकारात्मक रख सोच सदा,
मत घबरा मत घबरा।

कर देश दुनिया से प्रेम,
इंसानियत का परचम लहरा,
बना आदर्श नेतृत्वकर्ताओं को,
मत घबरा, मत घबरा।

रचयिता
रेखा बेदी,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय मत्तूखेड़ा,
विकास खण्ड-सफीपुर, 
जनपद-उन्नाव।

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