मित्रता

कृष्ण-सुदामा हैं, मित्रता की अमर कहानी,
उनसे ही आज प्रेरित होती, ये दुनिया ज्ञानी।

मित्रता अतुल्य-बहुमूल्य है, है मित्रता दीवानी,
अहम का है समर्पण, सम्बंध की है निशानी।

मित्रता मन का मिलन, है ईश्वर का वरदान,
प्रणाम उनको जो रखता है मित्रता का मान।

जिसके होने से खुशियों का होता एहसास,
मित्र सच्चा वही है कर लो तुम ये विश्वास।

कृष्ण-सुदामा हैं, मित्रता की अमर कहानी,
उनसे ही आज प्रेरित होती, ये दुनिया ज्ञानी।

बिन मित्रता जीवन का हर पल है निराश,
जब संग हो सखा होता है अजब विश्वास।

मित्रता में हो सदा निज स्वार्थ का प्रतिकार,
शुभेच्छा, निस्वार्थ स्नेह समर्पण का है उपहार।

सदा साथ दे तुम्हारा, चाहे पतझड़ हो या बहार,
मित्र वही सच्चा करे, सदा जो सत्य व्यवहार।

कृष्ण-सुदामा हैं, मित्रता की अमर कहानी,
उनसे ही आज प्रेरित होती, ये दुनिया ज्ञानी।

रचयिता
नवनीत शुक्ल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय,
शिक्षा क्षेत्र-हसवा,
जनपद-फतेहपुर।

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