राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस

भारत एक बहुत ही विस्तृत देश है और इसे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। यहाँ की 70 %जनसंख्या गाँवों में रहती हैं। कई प्रदेशों में जनसँख्या और क्षेत्रफल अधिक होने के कारण प्रदेश के सबसे ऊँचे पद पर बैठा व्यक्ति ग्रामीण इलाकों के लोगों की समस्याओं से अवगत नहीं हो पाता था इसलिए यह तय किया गया कि देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया जाय।
इस काम के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में 1957 में एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी सिफारिश में जनतांत्रिक विकेंद्रीकरण की सिफारिश की जिसे पंचायती राज कहा गया है। समिति ने  त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की बात कही थी।
राजस्थान देश का पहला राज्य था जहाँ पर पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया था। इस योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को किया था। इसके बाद इस योजना को 1959 में ही आंध्र प्रदेश में लागू किया गया था।
भारत में हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का कारण 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 है जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था। भारत में पंचायती राज व्यवस्था की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को पंचायती राज मंत्रालय को एक अलग मंत्रालय बनाया गया।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस  2010 से 24 अप्रैल को  प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है।
भारत में पंचायती राज व्यवस्था त्रिस्तरीय अर्थात् 3 प्रकार की हैं

क). ग्राम स्तरीय पंचायत

ख). क्षेत्र स्तरीय पंचायत

ग). जिला स्तरीय पंचायत


हमारे देश में 2.54 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 2.47 लाख ग्राम पंचायतें, 6283 ब्लॉक पंचायतें और 595 जिला पंचायतें शामिल हैं. देश में 29 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधि हैं। भारत में पंचायती राज की स्थापना 24 अप्रैल 1992 से मानी जाती है।

14 वें वित्त आयोग के द्वारा 2015-20 की अवधि के लिए गाँवों में भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को शुरू करने के लिए 5 वर्षों के लिए 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक ग्राम पंचायतों को आवंटित किए जा चुके हैं।
 
लेखक
हेमन्त चौकियाल,
सहायक अध्यापक, 
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय डाँगी गुनाऊँ,
विकास खण्ड-अगस्त्यमुनि,
जनपद-रुद्रप्रयाग।

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