हम बेसिक के माली हैं
हम बेसिक के माली हैं,
हम बेसिक सजाएँगे।
हम नन्हें पौधों को,
फलदार बनाएँगे।
हम ज्ञान का दीप जला,
संस्कारों की सरिता बहा,
बालमन के अंधेरों को,
हम दूर भगाएँगे।
संस्कृति के पुजारी बन,
सद्गुणी संस्कारी बन,
हम स्वयं दीवाली बन,
हर दीप जलाएँगे।
सत चित का ज्ञान करा,
राग द्वेष का भेद मिटा,
मन के कलुष बहा,
हर भेद मिटाएँगे।
त्याग का मार्ग दिखा,
सेवा का भाव जगा,
शौर्य सरिता बहा,
नव राष्ट्र बनाएँगे।
प्रतिपल जो प्रहरी बन,
नवजीवन की नवधुन,
नित उर वीणा की सुन,
धीर अटल बनाएँगे।
फिर से सतयुग आएगा,
भारत विश्व गुरु कहलायेगा,
हम सब साधक बन,
सत्य ये करके दिखाएँगे।
हम बेसिक के माली हैं,
हम बेसिक सजाएँगे।
हम नन्हें पौधों को,
फलदार बनाएँगे।
रचयिता
दीपिका गर्ग,
सहायक अध्यापिका,
कन्या प्राथमिक विद्यालय महोबकंठ,
विकास खण्ड-पनवाड़ीे,
जनपद-महोबा।
हम बेसिक सजाएँगे।
हम नन्हें पौधों को,
फलदार बनाएँगे।
हम ज्ञान का दीप जला,
संस्कारों की सरिता बहा,
बालमन के अंधेरों को,
हम दूर भगाएँगे।
संस्कृति के पुजारी बन,
सद्गुणी संस्कारी बन,
हम स्वयं दीवाली बन,
हर दीप जलाएँगे।
सत चित का ज्ञान करा,
राग द्वेष का भेद मिटा,
मन के कलुष बहा,
हर भेद मिटाएँगे।
त्याग का मार्ग दिखा,
सेवा का भाव जगा,
शौर्य सरिता बहा,
नव राष्ट्र बनाएँगे।
प्रतिपल जो प्रहरी बन,
नवजीवन की नवधुन,
नित उर वीणा की सुन,
धीर अटल बनाएँगे।
फिर से सतयुग आएगा,
भारत विश्व गुरु कहलायेगा,
हम सब साधक बन,
सत्य ये करके दिखाएँगे।
हम बेसिक के माली हैं,
हम बेसिक सजाएँगे।
हम नन्हें पौधों को,
फलदार बनाएँगे।
रचयिता
दीपिका गर्ग,
सहायक अध्यापिका,
कन्या प्राथमिक विद्यालय महोबकंठ,
विकास खण्ड-पनवाड़ीे,
जनपद-महोबा।
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