नृत्य

थिरकते पैर, घूमती उँगलियाँ हैं,
तनी भृकुटि, मुस्काता चेहरा,
कमर भटकने लग जाती है।
                नृत्य है कहलाती।।

गाथा   सुनाती,
कहानी भाव समझाती,
केरल में पहचानी जाती।
         कथकली है कहलाती।।

प्रेम भाव  समझाती,
कृष्ण समर्पण दर्शाती,
उड़ीसा में नाची जाती।
        ओडिसी है कहलाती।।

राधा कृष्ण  नटवरी छवि,
भावों   में    समझती,
उत्तरप्रदेश की मानी जाती।
             कथक है कहलाती।।

मंदिर में देवी दासी,
प्रभु महिमा बताती,
तमिल मंदिर पूजी जाती।
       भरतनाट्यम है कहलाती।।

नाटक   के  उत्कर्ष,
नृत्य शैली में बताती,
आंध्रा के पग-पग होती।
          कुचिपुड़ी है कहलाती।।

रास लीला करती,
राधे श्याम को दर्शाती,
मणिपुर में धार्मिक होती।
           मणिपुरी है कहलाती।।

अति सुलभ तत्काल,
पौराणिक शिक्षा दिखती,
असम का गौरव बढ़ाती।
              सत्त्रिया है कहलाती।।

 बुराई पर अच्छाई दिखाती,
भगवान विष्णु प्रतीक कहलाती,
केरल में पहचानी जाती।
        मोहनीअट्टम है कहलाती।।

रचयिता
सन्नू नेगी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय सिदोली,
विकास खण्ड-कर्णप्रयाग, 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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