विश्व पुस्तक दिवस

गाने की तर्ज-जिस पथ पे चला, उस पथ पे मुझे आँचल तो बिछाने दे

सुख दुख में भी ये,
हर पल में भी ये
मेरा साथ निभाती रहीं
ज्ञान से भरी साथी भी यही,
मेरा ज्ञान बढ़ाती रहीं।
मेरा ज्ञान बढ़ाती रहीं.....
किताबों में चिड़िया चहके
और झरने मिले गुनगुनाते
और झरने मिले गुनगुनाते...
खूब परियों के किस्से पढ़ते
और खेत मिले लहलहाते
और खेत मिले लहलहाते....
हर एक ज्ञान की भरमार,
इनका अपना संसार
सबका ज्ञान बढ़ाती रहीं
ज्ञानी न बनी, कोई बात नहीं,
मेरा ज्ञान बढ़ाती रहीं
मेरा ज्ञान बढ़ाती रहीं

रचयिता
मंजुला मौर्य,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय छीछा,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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