हिंदी जानें

हिंदी भारत देश की, चाहें कहो हिंदुस्तान।
13स्वर, 39व्यंजन, अक्षर इसमें बावन।।
नाम बोलो तो बनकर संज्ञा है कहलाता।
संज्ञा के बदले जो आए, सर्वनाम बन जाता।।
करो कोई भी काम, क्रिया उसको कहते।
रूप ना बदले जिनका अव्यय शब्द हैं कहते।।
जिससे पुरुष जाति पता चले, शब्द बनते पुल्लिंग।
नारी जाति का भान हो, शब्द बने स्त्रीलिंग।।
एक अकेला हो तो बनता है एकवचन।
एक से ज्यादा हो तो कहते उनको बहुवचन।।
तीन पुरुष हिंदी में मिलते उत्तम, मध्यम, अन्य।
उत्तम मैं हैं, मध्यम तुम हो, तीसरा होता अन्य।।
अर्थ एक सा होता जिनका, कहलाते पर्यायवाची।
उल्टे अर्थ वाले तो विलोम ही कहलाते।।
हिंदी भाषा महान है महान है हिंदुस्तान।।

रचयिता
सीमा अग्रवाल,
सेवानिवृत्त सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफ़िज़पुर उबारपुर,
विकास क्षेत्र - हापुड़,
जनपद - हापुड़।

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