भगवान परशुराम
हिन्दू धर्म में माने गए हैं,
वैसे तो चौबीस अवतार।
किन्तु तर्कसंगत हैं इनमें,
प्रभु के केवल दस अवतार।।
डार्विन थ्योरी को अपनाते,
मानव का होता क्रमिक विकास।
छठा अवतार है परशुराम का,
अकाट्य तर्क से डार्विनवाद।।
मीन, कमठ, सूकर, नरहरी।
वामन, परशुराम वपु धरी।।
जब जब नाथ सुरन्ह दुख पायो ।
नाना तनु धरि तुमहिं नसायो।।
रामचरितमानस
ॠषि जमदग्नि, माता रेणुका,
शिवभक्त इक लाल जन्यो।
पितृ आज्ञा पालक, अति क्रोधी
अक्षय तृतीया को लाल भयो।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही।
विपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
कर्ण गुरू बन परशुराम ने,
२१ बार क्षत्रिय विहीन भू कीन्ही।।
अन्तिम विनय हमारी उनसे,
स्वस्थ सबको रखें अविराम।
प्रभु के इस अवतार को मेरा,
शत् शत् प्रणाम, शत् शत् प्रणाम।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
वैसे तो चौबीस अवतार।
किन्तु तर्कसंगत हैं इनमें,
प्रभु के केवल दस अवतार।।
डार्विन थ्योरी को अपनाते,
मानव का होता क्रमिक विकास।
छठा अवतार है परशुराम का,
अकाट्य तर्क से डार्विनवाद।।
मीन, कमठ, सूकर, नरहरी।
वामन, परशुराम वपु धरी।।
जब जब नाथ सुरन्ह दुख पायो ।
नाना तनु धरि तुमहिं नसायो।।
रामचरितमानस
ॠषि जमदग्नि, माता रेणुका,
शिवभक्त इक लाल जन्यो।
पितृ आज्ञा पालक, अति क्रोधी
अक्षय तृतीया को लाल भयो।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही।
विपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
कर्ण गुरू बन परशुराम ने,
२१ बार क्षत्रिय विहीन भू कीन्ही।।
अन्तिम विनय हमारी उनसे,
स्वस्थ सबको रखें अविराम।
प्रभु के इस अवतार को मेरा,
शत् शत् प्रणाम, शत् शत् प्रणाम।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
सुन्दर रचना
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