विश्व पुस्तक दिवस

तुम ज्ञान की खान हो
सत्यासत्य की पहचान हो
घटनाओं का प्रमाण तुम
संस्कृति का मान हो।

चेतना का संचार हो
कल्पना का आकार हो
हमेशा साथ निभाती तुम
कलाओं का परिमाण हो।

तुम्हीं सच्ची मित्र हो
भरती भाव पवित्र हो
संतों की वाणी तुम
बनाती सद्चरित्र हो।

तुम कुरीति विनाशक हो
व्यक्तित्व निर्माणक हो
परमशांति का अनुभव तुम
तुम पथ प्रदर्शक हो।

कर्मों की गाथा हो
हरती तुम व्यथा हो
मानवता का पाठ तुम
बताती हर कथा हो।

तुम बुराई की पातक हो
संस्कृति की द्योतक हो
ज्ञान की संरक्षक तुम
तुम एक "पुस्तक" हो।

रचयिता
प्रतिभा चौहान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर,
विकास खंड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।

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