बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो।
जग वालों की तुम न सुनना,
उनके काम हैं बातें बुनना।
ये है जग की रीति पुरानी,
इस कुरीति से आगे है बढ़ना।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो….........
मैं तेरी नन्हीं सी कली हूँ,
तेरी मैं प्यारी परी हूँ।
प्यार भरा पंख लगा कर,
स्वच्छंद हवा में उड़ना सिखला दो।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो ….........
मैं तेरी घर की दौलत,
मेरे से होती है रौनक।
मुझे भी पढ़ना सिखला दो,
पथ पर आगे बढ़ना सिखला दो।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो........
मेरे हैं रूप अनेक,
जननी भगिनी भार्या का स्नेह।
मैंने सदा तुम पर लुटाया है,
थोड़ा मुझ पर भी जता दो न।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो...........
जीवन है मुझ पर निर्भर,
मैं सरिता सी बहती अविरल।
फिर क्यूँ है जग मुझसे रुठा,
मेरी क्या खता सुना दो।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो........
मुझे पढ़ा दो..............
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
मुझे बचा लो।
जग वालों की तुम न सुनना,
उनके काम हैं बातें बुनना।
ये है जग की रीति पुरानी,
इस कुरीति से आगे है बढ़ना।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो….........
मैं तेरी नन्हीं सी कली हूँ,
तेरी मैं प्यारी परी हूँ।
प्यार भरा पंख लगा कर,
स्वच्छंद हवा में उड़ना सिखला दो।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो ….........
मैं तेरी घर की दौलत,
मेरे से होती है रौनक।
मुझे भी पढ़ना सिखला दो,
पथ पर आगे बढ़ना सिखला दो।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो........
मेरे हैं रूप अनेक,
जननी भगिनी भार्या का स्नेह।
मैंने सदा तुम पर लुटाया है,
थोड़ा मुझ पर भी जता दो न।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो...........
जीवन है मुझ पर निर्भर,
मैं सरिता सी बहती अविरल।
फिर क्यूँ है जग मुझसे रुठा,
मेरी क्या खता सुना दो।
मैं तेरी लाडो हूँ पापा,
मुझे बचा लो........
मुझे पढ़ा दो..............
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
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