कल्पना शक्ति
तुम्हारा नयन
उस मीन जैसा
जो रहे जल से
भरे सरिता में,
तुम्हारा अनुराग
उस भौंरे जैसा
जो मगन रहे
अपने सुमन में!
तुम उस मयंक की
ज्योतस्ना हो
जिस पर नजर
लगे न किसी का,
तुम उस अर्क की
तीव्र मयूख हो
जिसपे कर पहुँच
सके न किसी का!
बोलो तो सुधा बरसे
तेरी मधुर बोली से
तुम पर न रोष का
दूर तक कोई साया,
तुम्हारा तन का "चैतन्य"
उस तरुण वृक्ष जैसा
जो सदैव बाँटे मिष्ठान
फल व नव-माया!!
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।
उस मीन जैसा
जो रहे जल से
भरे सरिता में,
तुम्हारा अनुराग
उस भौंरे जैसा
जो मगन रहे
अपने सुमन में!
तुम उस मयंक की
ज्योतस्ना हो
जिस पर नजर
लगे न किसी का,
तुम उस अर्क की
तीव्र मयूख हो
जिसपे कर पहुँच
सके न किसी का!
बोलो तो सुधा बरसे
तेरी मधुर बोली से
तुम पर न रोष का
दूर तक कोई साया,
तुम्हारा तन का "चैतन्य"
उस तरुण वृक्ष जैसा
जो सदैव बाँटे मिष्ठान
फल व नव-माया!!
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।
Nice wordings
ReplyDeleteNice poem
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