मिसाइल मैन-डॉ०ए०पी०जे० अब्दुल कलाम
धनुषकोटि का नन्हा बालक,
जो सागर तट का वासी था।
सपने तिरते थे आसमान में,
नवल सृजन का आभासी था।
अब्दुल कलाम बालक जन्मा,
धन्य धरा भारत की करने को।
कोटि-कोटि जन-जन के मन में,
आया ज्योतिपुंज सा जलने को।
नियति खिलाती खेल जिसे थी,
भारत का सम्मान बढ़ाने को।
बना मिसाइल मैन वही फिर,
सम्प्रभु भारत राष्ट्र बनाने को।
श्रद्धा से अब याद करेगा उनको,
नित-नित भारत देश हमारा।
नव भारत के नव निर्माणों का,
अब्दुल कलाम है उजियारा।
जिसे राष्ट्र प्रेम था, राष्ट्र भाव था,
सच में सत पथ अनुरागी था।
वह भारत का स्वाभिमान था,
जन विकास का आकांक्षी था।
आज जयन्ती है तपः पुत्र की,
हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं।
भारत विकसित राष्ट्र बनाने,
अब निज का संकल्प जगाएँ।
जो सागर तट का वासी था।
सपने तिरते थे आसमान में,
नवल सृजन का आभासी था।
अब्दुल कलाम बालक जन्मा,
धन्य धरा भारत की करने को।
कोटि-कोटि जन-जन के मन में,
आया ज्योतिपुंज सा जलने को।
नियति खिलाती खेल जिसे थी,
भारत का सम्मान बढ़ाने को।
बना मिसाइल मैन वही फिर,
सम्प्रभु भारत राष्ट्र बनाने को।
श्रद्धा से अब याद करेगा उनको,
नित-नित भारत देश हमारा।
नव भारत के नव निर्माणों का,
अब्दुल कलाम है उजियारा।
जिसे राष्ट्र प्रेम था, राष्ट्र भाव था,
सच में सत पथ अनुरागी था।
वह भारत का स्वाभिमान था,
जन विकास का आकांक्षी था।
आज जयन्ती है तपः पुत्र की,
हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं।
भारत विकसित राष्ट्र बनाने,
अब निज का संकल्प जगाएँ।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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