ज्योति पर्व
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
ये पर्व है प्रकाश का,
विजय श्री की आस का।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
जाति-पाँति व गरीबी का द्वेष,
अंधविश्वास व अशिक्षा का क्लेश,
बिगाड़ रहा घर, परिवार व देश।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
अज्ञान के तिमिर का करके दहन,
हो ना मुख पर करुण रुदन,
ज्योति प्रकाश का पर्व ये पावन।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
शिक्षा की ज्योत जलाएँ,
ज्ञान का प्रकाश फैलाएँ।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।।
रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।
आओ मनाएँ दीवाली।
ये पर्व है प्रकाश का,
विजय श्री की आस का।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
जाति-पाँति व गरीबी का द्वेष,
अंधविश्वास व अशिक्षा का क्लेश,
बिगाड़ रहा घर, परिवार व देश।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
अज्ञान के तिमिर का करके दहन,
हो ना मुख पर करुण रुदन,
ज्योति प्रकाश का पर्व ये पावन।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।
शिक्षा की ज्योत जलाएँ,
ज्ञान का प्रकाश फैलाएँ।
आओ मनाएँ दीवाली,
आओ मनाएँ दीवाली।।
रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।
दीपोत्सव की सपरिवार बहुत बहुत सह्रदय से हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएं
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