दीपावली- कुछ नई

इस दीवाली आओ मिलजुल
कुछ ऐसा सब जतन करें
दीप ऐसा सब जलाएँ
जो हर दीप रोशन करे।

है अमावस घोर अंधेरी
जिनके जीवन में नित यहाँ
उनके जीवन में उजाले
लाने का कुछ प्रयत्न करें।

हैं तड़पते रोटियों को
बालक गली में भटक रहे
अपने लड्डू की मिठास से
आओ उन्हें भी तृप्त करें।

फ़टी धोती में तन को ढकती
लजाती चाकरी कर रही
तन को ढककर उस नारी के
कोमल हृदय को कृष्ण करें।

राह तक-तक फौजी सुत की
हाँफता जो बाप बूढ़ा
लगके उर से उस व्यथित के
उसके मन को रंजन करें।

शांति धाम में ढूँढती शांति
जो परिवारी बेघर अबलाएँ
बनके उनके परिवारीजन
उनके कुछ पल आनंदित करें।

डेंगू पीड़ित कुछ बेचारे
जिंदगी को तरस रहे
करके रक्तदान उनके घर में
दीवाली की उम्मीदें रोशन करें।

खनक फैले दूर तक
खिलखिला उठे ये वसुंधरा
आओ मिलकर यूँ हँसे सब
जन-जन के हृदय को मुदित करें।

सभी बंधुओं को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ

धनतेरस पर कुबेर जी आपका खजाना सदैव भरा रखें
नरक चतुर्दशी पर जीवन के समस्त दुःख संताप मिटें
दीपावली पर माँ लक्ष्मी साक्षात् आपके घर विराजमान हों

रचयिता
रीता गुप्ता,
सहायक अध्यापक, 
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नंबर-एक,
विकास क्षेत्र-साढोली कदीम,
जनपद-सहारनपुर।

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