स्कूल चलो गीत
मिंटू तुम भी चलो स्कूल
पिंटू तुम भी चलो स्कूल।
सुंदर सा स्कूल तुम्हारा
खूब कहे हैं फूल।
हवादार सब कमरे होंगे
कहीं न होगी धूल।
मिंटू तुम भी चलो--------।
हरी-हरी मैटी पर बैठो
पट्टी जाओ भूल
सुन्दर सा सब परिसर होगा
कहीं न होगी धूल।
मिंटू तुम भी चलो-------।
ताजे-ताजे फल तुम खाना
और पीना तुम दूध
प्राइवेट वाले करें दिखावा
करते हैं सब लूट
पढ़ लिखकर तुम अफसर बनना
हाथ में होगी रूल
मिंटू तुम भी चलो-----------।
रिंकी, पिंकी और सुनीता
तुम भी चलो स्कूल
सोमवार को फल तुम खाना
बुध को पीना दूध
नए-नए दो सूट मिलेंगे
काले मिलेंगे बूट
रिंकी, पिंकी और सुनीता------।
दादी, अम्मा, चाची सुन लो
हम तुम से करें अपील
चूल्हा चौका गोबर कंडा
ये सब जाओ भूल
घर के काम नहीं करवाओ
बिटिया को भेजो स्कूल
रिंकी, पिंकी और सुनीता-----।
बिटिया पढ़कर करेगी नौकरी
आँगन में खिलेंगे फूल
नाम तुम्हारा करेगी रोशन
होगी गरीबी दूर
फिर अच्छा घर बने तुम्हारा
उन्नति होगी खूब
रिंकी, पिंकी और सुनीता-----।
अच्छी-अच्छी मिलेंगी किताबें
उन्हें पढ़ो तुम खूब
रंग और चार्ट तुम्हें हम देंगे
उनमें बनाओ फूल
अच्छी-अच्छी दीदी होंगी
तुम्हें पढ़ाएँगी खूब
रिंकी, पिंकी और सुनीता-----।
बेटा बेटी में भेद न करना
दोनों को भेजो स्कूल
अच्छी-अच्छी शिक्षा देंगे
खेल खिलाएँगे खूब
लूडो कैरम खो-खो खेलो
योगा करना खूब
भोजन शेड में भोजन करना
कहीं न होगी धूल
रिंकी, पिंकी और सुनीता------।
मन की मेरी यही कामना
बच्चे आएँ स्कूल
संस्कार इनमें भर दें हम
इन्हें पढ़ायें खूब
कोई अफसर कोई टीचर
बन जाएँ सब खूब
देश की सेवा में रहें समर्पित
ये बच्चे सब खूब
मिंटू, पिंटू, रिंकी, पिंकी
सब आओ स्कूल।।
रचयिता
लाल बहादुर गौतम,
प्रधानाध्यापक,
राज्यस्तरीय उत्कृष्ट आदर्श प्राथमिक विद्यालय म्योनी,
विकास खण्ड-सुरसा,
जनपद-हरदोई।
पिंटू तुम भी चलो स्कूल।
सुंदर सा स्कूल तुम्हारा
खूब कहे हैं फूल।
हवादार सब कमरे होंगे
कहीं न होगी धूल।
मिंटू तुम भी चलो--------।
हरी-हरी मैटी पर बैठो
पट्टी जाओ भूल
सुन्दर सा सब परिसर होगा
कहीं न होगी धूल।
मिंटू तुम भी चलो-------।
ताजे-ताजे फल तुम खाना
और पीना तुम दूध
प्राइवेट वाले करें दिखावा
करते हैं सब लूट
पढ़ लिखकर तुम अफसर बनना
हाथ में होगी रूल
मिंटू तुम भी चलो-----------।
रिंकी, पिंकी और सुनीता
तुम भी चलो स्कूल
सोमवार को फल तुम खाना
बुध को पीना दूध
नए-नए दो सूट मिलेंगे
काले मिलेंगे बूट
रिंकी, पिंकी और सुनीता------।
दादी, अम्मा, चाची सुन लो
हम तुम से करें अपील
चूल्हा चौका गोबर कंडा
ये सब जाओ भूल
घर के काम नहीं करवाओ
बिटिया को भेजो स्कूल
रिंकी, पिंकी और सुनीता-----।
बिटिया पढ़कर करेगी नौकरी
आँगन में खिलेंगे फूल
नाम तुम्हारा करेगी रोशन
होगी गरीबी दूर
फिर अच्छा घर बने तुम्हारा
उन्नति होगी खूब
रिंकी, पिंकी और सुनीता-----।
अच्छी-अच्छी मिलेंगी किताबें
उन्हें पढ़ो तुम खूब
रंग और चार्ट तुम्हें हम देंगे
उनमें बनाओ फूल
अच्छी-अच्छी दीदी होंगी
तुम्हें पढ़ाएँगी खूब
रिंकी, पिंकी और सुनीता-----।
बेटा बेटी में भेद न करना
दोनों को भेजो स्कूल
अच्छी-अच्छी शिक्षा देंगे
खेल खिलाएँगे खूब
लूडो कैरम खो-खो खेलो
योगा करना खूब
भोजन शेड में भोजन करना
कहीं न होगी धूल
रिंकी, पिंकी और सुनीता------।
मन की मेरी यही कामना
बच्चे आएँ स्कूल
संस्कार इनमें भर दें हम
इन्हें पढ़ायें खूब
कोई अफसर कोई टीचर
बन जाएँ सब खूब
देश की सेवा में रहें समर्पित
ये बच्चे सब खूब
मिंटू, पिंटू, रिंकी, पिंकी
सब आओ स्कूल।।
रचयिता
लाल बहादुर गौतम,
प्रधानाध्यापक,
राज्यस्तरीय उत्कृष्ट आदर्श प्राथमिक विद्यालय म्योनी,
विकास खण्ड-सुरसा,
जनपद-हरदोई।
Nice
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