दीपों की पाठशाला
दीपावली रंंग-बिरंगे दीपों की पाठशाला है।
सिखाती हमें नित नवीन पाठ निराला है।।
१) पहला दीपक हमें सिखाता है।
मेल-जोल से काम मे बड़ा आनंद आता है।।
२)दूजा दीपक हमें बतलाता है।
इक दूजे के लिए मर मिटना सिखलाता है।।
३)तीजा दीपक हमें बताये।
व्यक्तित्व को कैसे चमकदार बनायें।।
४)चौथा दीपक अनोखी बात बताता।
कैसे खुद जल दूसरों को पथ दिखलाता।।
५) पाँचवाँ दीपक कुछ यूँ समझाये।
लौ से लौ को मिलाकर ज्ञान आगे बढ़ाये।।
६)इस तरह हर वर्ष दीवाली आती है।
दीपकों मे गूढ़ ज्ञान दे जाती है।।
७) बस समझने की हमको देरी है।
वरना अमावस की रात बहुत गहरी है।।
रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
सिखाती हमें नित नवीन पाठ निराला है।।
१) पहला दीपक हमें सिखाता है।
मेल-जोल से काम मे बड़ा आनंद आता है।।
२)दूजा दीपक हमें बतलाता है।
इक दूजे के लिए मर मिटना सिखलाता है।।
३)तीजा दीपक हमें बताये।
व्यक्तित्व को कैसे चमकदार बनायें।।
४)चौथा दीपक अनोखी बात बताता।
कैसे खुद जल दूसरों को पथ दिखलाता।।
५) पाँचवाँ दीपक कुछ यूँ समझाये।
लौ से लौ को मिलाकर ज्ञान आगे बढ़ाये।।
६)इस तरह हर वर्ष दीवाली आती है।
दीपकों मे गूढ़ ज्ञान दे जाती है।।
७) बस समझने की हमको देरी है।
वरना अमावस की रात बहुत गहरी है।।
रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
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