मेरे देश की दीवाली
मेरे देश की दीवाली
शूल हैं बिखरे राह में।
किंचित न हुआ विचलित।
हजारों सुनामी हैं मन में।
कर विचारों को फिर भी संचलित।
एक राह एक चाह राष्ट्र निर्माण की।
शुध्द भावना समर्पित है सच्चे वीर की।
इस दीवाली, घर ही नहीं मन को दीपों से सजायें
दुर्भावना का तिमिर दीप के प्रकाश से दूर भगायें।
है प्रवृत्ति हर दीपक की स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देने की।
मैं को छोड़ परोपकार करे जो, पहचान है ये सच्चे मानव की।
द्वेष रुपी दैत्य का स्वयं करें विनाश।
फिर देखो हर दिन दीवाली, होगा चहुँदिश प्रकाश।
रचयिता
सुमन शर्मा,
इं. प्रधनाध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मांकरौल,
विकास खण्ड - इगलास,
जनपद - अलीगढ़।
शूल हैं बिखरे राह में।
किंचित न हुआ विचलित।
हजारों सुनामी हैं मन में।
कर विचारों को फिर भी संचलित।
एक राह एक चाह राष्ट्र निर्माण की।
शुध्द भावना समर्पित है सच्चे वीर की।
इस दीवाली, घर ही नहीं मन को दीपों से सजायें
दुर्भावना का तिमिर दीप के प्रकाश से दूर भगायें।
है प्रवृत्ति हर दीपक की स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देने की।
मैं को छोड़ परोपकार करे जो, पहचान है ये सच्चे मानव की।
द्वेष रुपी दैत्य का स्वयं करें विनाश।
फिर देखो हर दिन दीवाली, होगा चहुँदिश प्रकाश।
रचयिता
सुमन शर्मा,
इं. प्रधनाध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मांकरौल,
विकास खण्ड - इगलास,
जनपद - अलीगढ़।
सुन्दर मोती
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपोत्सव पावन पर्व की सह्रदय से बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteVery nice suman ji
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