दीवाली

    आई-आई  रे  दीवाली, आई-आई  रे,
    गया है चहुँओर घर द्वार, जगमगाई रे।
    हैपी दीवाली कह मिलते भाई-भाई रे,
    सुख-समृद्धि का त्योहार आई रे।।
   आई-आई  रे -----------------------------

   घर-घर हर घर "ज्ञानदीप" दे जलवाई रे,
   अन्धेरा इस धरा पर कहीं न रह जाई रे।
   है माँ सरस्वती से   मेरी  यही  दुहाई  रे,
   आई-आई रे  दीवाली,    आई-आई  रे।।

 सब जन फैले बेसिक की उत्कृष्ट पढाई रे,
 टूटे "मिथक"  जो जन-जन में है समाई रे।
 वो दीवाली   तुमसे       मेरी यही दुहाई रे,
 आई-आई  रे   दीवाली,     आई-आई रे।।

दुख-दरिद्रता अशिक्षा इनकी करे विदाई रे,
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई  भाई-भाई  रे।
प्रीति एकता सबजन  में     जाय समाई रे,
आई-आई रे   दीवाली,      आई-आई  रे।।

जबसे शिक्षण मिशन की पड़ी परछाई रे,
शिखर पर अग्रसर है बेसिक की पढ़ाई रे।
सभी बहनभाई को विजय की हो बधाई रे,
आई-आई रे   दीवाली,       आई-आई रे।।

रचयिता
विजय मेहंदी,
सहायक अध्यापक,
KPS(E.M.School)Shudanipur, Madiyahu,
जनपद-जौनपुर।

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