ये खत तुम्हारे नाम है

ये खत तुम्हारे नाम है।
जिसमें उजालों का पैगाम है।
मेरी आस का, विश्वास का,
जिन्दगी के मृदुहास का।
खत में लिखा वो काम है।
ये खत तुम्हारे नाम है।
अंधेरों में रहते अंधेरों में जीते
मैंने कहा अब उजाले हैं आते।
नई इक सुबह नहीं शाम है।
ये खत तुम्हारे नाम है।
दूर बैठे रहे तो, क्या मिल सकेगा?
नया ये जमाना हमें क्या कहेगा?
शिक्षा अनमोल है, सुख धाम है।
ये खत तुम्हारे नाम है।
कल की आती, वो मंजिल तुम्हारी,
छिपी है खुशी हर, उसी में तुम्हारी।
पढ़ना है तुमको, बस यही काम है।
ये खत तुम्हारे नाम है।
कहानी सुनाकर, कहानी बनाने,
सृजन की सुहानी किरण वो उगाने।
स्कूल तो आपका आपके ग्राम है।
ये खत तुम्हारे नाम है।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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