संघर्षों से लड़ती हो
मेरे और परिवार की खातिर,
नित्य कठिन तप करती हो
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
जाने कितनी जिम्मेदारी,
तुम तो रोज निभाती हो।
घर की सारी उलझन तुम तो,
चुटकी में सुलझाती हो।।
खुशी-खुशी सब फर्ज निभातीं,
शायद कभी न थकती हो।
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
घर में इतराई फिरती हो,
नित नूतन मुस्कान लिए।
तुम चलती-फिरती गुड़िया हो,
प्यार लिए अरमान लिए।।
मेरे ख्वाबों में तुम हर दिन,
रंग सुनहरे भरती हो।
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
प्यार लुटातीं तुम बच्चों पर,
तुमसे उनका जीवन है।
तुम बिन देखो ये घर भी तो,
सूना-सूना निर्जन है।।
तुम फूलों की बगिया हो जो,
हरदम महका करती हो।
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
नित्य कठिन तप करती हो
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
जाने कितनी जिम्मेदारी,
तुम तो रोज निभाती हो।
घर की सारी उलझन तुम तो,
चुटकी में सुलझाती हो।।
खुशी-खुशी सब फर्ज निभातीं,
शायद कभी न थकती हो।
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
घर में इतराई फिरती हो,
नित नूतन मुस्कान लिए।
तुम चलती-फिरती गुड़िया हो,
प्यार लिए अरमान लिए।।
मेरे ख्वाबों में तुम हर दिन,
रंग सुनहरे भरती हो।
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
प्यार लुटातीं तुम बच्चों पर,
तुमसे उनका जीवन है।
तुम बिन देखो ये घर भी तो,
सूना-सूना निर्जन है।।
तुम फूलों की बगिया हो जो,
हरदम महका करती हो।
करवा चौथ रोज ही मानो,
संघर्षों से लड़ती हो।।
रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
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