करवा चौथ

रोज ही करवा चौथ हो मेरा
प्रियतम को अपने रिझाऊँ मैं
ऐ चाँद तू हर दिन, शीतल ही रहना
वाणी में अमृत रस भरना

दिल से बँधी इक  डोर है ये
जो दिल से दिल तक जाती है
ऐ चाँद आशीष दे अपना
अखण्ड सौभाग्य मेरा बना रहे

मेरी उम्र लगे मेरे सजना को
बस दुआ यही मैं करती हूँ
मेरी माँग सिन्दूर से दमकती रहे
चूड़ी हाथों में नित, यूँ ही खनकती रहे

दो जिस्म और एक जान हैं हम
जन्मों तक यूँ ही साथ रहें
सुख दुख में साथ निभायें हम
इक जन्म नहीं सातों जन्म संग रहे हम

तुम मेरे दिल की धड़कन हो
मै प्यार तुम्हारा हूँ प्रियतम
हर जन्म में साथ निभाना तुम
मैं हरपल साथ निभाऊँगी

रचयिता
सरिता मैंदोला,
रा0 उ0 प्रा0 वि0 गुमखाल,
विकास खण्ड-द्वारीखाल,
जनपद-पौडी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।


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