सोचो बच्चों

सोचो बच्चों अक्ल लगाओ,
दिमाग का पहिया खूब घुमाओ!
कैसे होते दिन और रात?
कैसे होती चाँदनी रात?
सूरज कैसे गर्मी देता,
हवा कैसे शीतल हो जाती?
सोचो बच्चों.....
पंछी कैसे उड़ते नभ में,
मेंढक कैसे रहता भू और जल में?
मुँह से भरकर हवा गुब्बारा न उड़ता,                       
मशीन भरे तो दूर गगन उड़ जाता
सोचो बच्चों ....
नन्हा बीज दबाओ जमीन में,
पौधा ऊपर को उग आता,
नमक हवा से भी गल जाता,
द्रव पारा क्यों धातु कहलाता?
सोचो बच्चों....
फूल तो होते रंग-बिरंगे,
पत्ते फिर क्यों हरे-हरे?
धुँआ सदा ही ऊपर जाता,
पानी सदा क्यों नीचे आता?
सोचो बच्चों......
रोजाना स्कूल तुम आओ,
अनबूझ पहली  फिर सुलझाओ।
सोचो बच्चों अक्ल लगाओ,
दिमाग का पहिया खूब घुमाओ।।

रचियता 
संजीव शर्मा,
प्रधानध्यापक,
कम्पोजिट स्कूल राजमार्गपुर, 
विकास खण्ड-अतरौली, 
जनपद-अलीगढ़।

Comments

  1. आभार, मिशन शिक्षण संवाद

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