तू भगवान से भी बड़ी है
भले ही उम्र लाठी की नोंक पर खड़ी है।
फिर भी माँ तेरी हिम्मतें दुशाला ओढ़े खड़ी हैं।।
१) खुद गीले में सोकर
सूखे में सुलाने वाली
यूँ ही जादू की झप्पी
तेरे नाम पर नहीं पड़ी है।
२) अपना पेट काटकर
उसको छप्पन भोग खिलाने वाली
मैं तो इतना ही कहूँगी
तू भगवान से भी बड़ी है।
३) तितली के जैसी
रंंग भरने वाली
आज तेरी ही ज़िन्दगी
बेरंग पड़ी है।
४)शूलों पर चलकर
फूलों की सेज बिछाने वाली
आज तेरी ही ज़िन्दगी
दोराहे पर खड़ी है।
५)घर से निकाली
पूरा अनाथालय चलाने वाली
मैं तो यह देखकर हैरान हूँ
तेरे ज़ज्बे के आगे
रॉकेट की उड़ान भी हल्की पड़ी है।
६)पचासी की उम्र में भी
लाठी बन कमाल करने वाली
ये आयुषी तेरे आगे
नतमस्तक खड़ी है।
रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
फिर भी माँ तेरी हिम्मतें दुशाला ओढ़े खड़ी हैं।।
१) खुद गीले में सोकर
सूखे में सुलाने वाली
यूँ ही जादू की झप्पी
तेरे नाम पर नहीं पड़ी है।
२) अपना पेट काटकर
उसको छप्पन भोग खिलाने वाली
मैं तो इतना ही कहूँगी
तू भगवान से भी बड़ी है।
३) तितली के जैसी
रंंग भरने वाली
आज तेरी ही ज़िन्दगी
बेरंग पड़ी है।
४)शूलों पर चलकर
फूलों की सेज बिछाने वाली
आज तेरी ही ज़िन्दगी
दोराहे पर खड़ी है।
५)घर से निकाली
पूरा अनाथालय चलाने वाली
मैं तो यह देखकर हैरान हूँ
तेरे ज़ज्बे के आगे
रॉकेट की उड़ान भी हल्की पड़ी है।
६)पचासी की उम्र में भी
लाठी बन कमाल करने वाली
ये आयुषी तेरे आगे
नतमस्तक खड़ी है।
रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
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