लो फिर आई दीवाली
अंधकारपूर्ण रात्रि को मिटाने वाली
संस्कार, संस्कृति की प्राण कही जाने वाली,
विश्व बन्धुत्त्व की भावना से परिपूर्ण
क्षमता, शुचिता, ममता से परिपूर्ण
लो फिर आई दीवाली,
लो फिर आई दीवाली।
अंतर्मन के कलुष को हरने वाली
बाह्य जगत संग स्वयं को आलोकित करने वाली
विभिन्नता में एकता का प्रतीक
मानवीय आस्थाओं से ओतप्रोत अतीत
लो फिर आई दीवाली,
लो फिर आई दीवाली।
सम्पूर्ण समाज में एक समय, एक सा उल्लास
आचरण, शिष्टाचार लिए विश्व परिवार विशाल
विश्वधरा की पुकार वसुधैव कुटुंबकम
एकता, मानवता, भ्रातृत्व का आगमन
लो फिर आई दीवाली,
लो फिर आई दीवाली।
रचनाकार
रुखसाना बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय अहरौरा,
विकास खण्ड-जमालपुर,
जनपद-मीरजापुर।
संस्कार, संस्कृति की प्राण कही जाने वाली,
विश्व बन्धुत्त्व की भावना से परिपूर्ण
क्षमता, शुचिता, ममता से परिपूर्ण
लो फिर आई दीवाली,
लो फिर आई दीवाली।
अंतर्मन के कलुष को हरने वाली
बाह्य जगत संग स्वयं को आलोकित करने वाली
विभिन्नता में एकता का प्रतीक
मानवीय आस्थाओं से ओतप्रोत अतीत
लो फिर आई दीवाली,
लो फिर आई दीवाली।
सम्पूर्ण समाज में एक समय, एक सा उल्लास
आचरण, शिष्टाचार लिए विश्व परिवार विशाल
विश्वधरा की पुकार वसुधैव कुटुंबकम
एकता, मानवता, भ्रातृत्व का आगमन
लो फिर आई दीवाली,
लो फिर आई दीवाली।
रचनाकार
रुखसाना बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय अहरौरा,
विकास खण्ड-जमालपुर,
जनपद-मीरजापुर।
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