मन में नहीं राम तो क्या होगा

हर वर्ष जलते बुत रावण,
हर रोज़ जला लो क्या होगा?
उपदेशक हम हैं घने यहाँ,
खुद कर ना जाने तो क्या होगा?

कुल तो रावण का ब्राह्मण था,
जब कर्म बुरा तो क्या होगा?
बड़ी धूम धाम से रावण वध,
हर बार मनाते तो क्या होगा?

रावण ही प्रेरित होंगे बस,
मर्यादा पुरुष का क्या होगा?
मर्यादा पर कुछ खड़े यहाँ,
हर दर जब भ्रष्ट तो क्या होगा?

सब राम का चेहरा रखते हम,
रावण मन में तो क्या होगा?
जब दीप जला ही छल से हो,
रौशन जग में फिर क्या होगा?

जब हम शिक्षक शिक्षक ना रहे,
अज्ञान तिमिर का क्या होगा?
जब जाति धर्म में बँटे हों हम,
शिक्षक सम्मान का क्या होगा?

हम रोज़ दहन करें बुत रावण,
मन में नहीं राम तो क्या होगा?
मन में नहीं राम तो क्या होगा?

रचयिता
नवीन कुमार,
सहायक अध्यापक,
माडल विद्यालय कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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