६२- नीरज गोयल प्रा० वि० न०-१ नगर क्षेत्र, शामली

मित्रो आज हम आपको मिशन संवाद में परिचय के क्रम में जनपद- शामली के बेसिक शिक्षा में नवाचार और परिवर्तन के लिए सतत प्रयासरत और दूधवार के जनक शिक्षक भाई नीरज गोयल जी से परिचय करा रहे हैं। जिन्होंने हम सब को सकारात्मक सोच बढ़ाने वाला संदेश वाक्य-- "दशा बदलेगी, तो दिशा बदलेगी„ से प्रेरित किया है। इसी आदर्श वाक्य को अंगीकार करते हुए आपने एक लक्ष्य को लिया। वह लक्ष्य है---
"विद्यालय एवं बच्चों के लिए समाज की भूमिका„
जहाँ आज देश में एकाकी और समाज तोड़ो व्यवस्था का अतिवाद दिखाई देता है। वहीं आपने समाज को अपनी सकारात्मक सोच से रात में भी विद्यालय के विकास के लिए सोचने की नयी दिशा दी है। जिसे आप दी गयी फोटो में भी देख सकते हैं।

तो आइये पढ़ते है, देखते है और हम भी कुछ नया करने के लिए आगे बढ़ते हैं। आपके प्रयास, आपके शब्दों में--
सर्व प्रथम शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ में शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार
मित्रों जब बेसिक शिक्षा विभाग में अगस्त-2010 में ग्रामीण क्षेत्र के एक प्राथमिक विद्यालय में स.अ. के पद पर मेरी नियुक्ति हुई तो सरकारी नौकरी का उत्साह तो था, साथ ही साथ विद्यालय एवं बच्चों के लिये कुछ अलग करने का जुनून भी मन में था, परन्तु वास्तव में कहूँ तो उस समय विद्यालय के मन से एकदम शिथिल प्रधानाध्यापक एवं कार्य के प्रति नकारात्मक सोच रखने वाले एकमात्र स.अ. ने मेरी उर्जा का भी पतन कर दिया। मैंने भी प्राथमिक शिक्षकों के लिये समाज की सोच को सार्थक मानकर उनकी तरह ही कुछ समय व्यतीत  किया परन्तु अपनी भूमिका के प्रति न्याय नहीं कर पा रहा था और मन में रहा कि शायद विभाग में नौकरी इसी तरह होती होगी।
इसी उधेडबुन में जल्द ही मेरा तबादला फरवरी 2011 में नगर क्षेत्र शामली के प्रा.वि.नं.-6 में स.अ.के पद पर हो गया। लेकिन परिस्थितियाँ यहाँ भी कुछ अलग नहीं मिली। जल्द ही जून-2011 में प्रधानाध्यापिका के सेवानिवृत हो जाने पर जुलाई माह में मुझे मेरे विद्यालय का इंचार्ज बना दिया गया।  परिस्थितियाँ और भी कठिन दिखाई दे रही थी। एक ओर तो विद्यालय में केवल 30-35 बच्चों का नामांकन और उनमें भी विद्यालय आने वाले बच्चों की संख्या बेहद कम। साथ ही साथ नगर की प्रत्येक गली में प्राइवेट स्कूलों की भीड़ के बीच विद्यालय को चलाना भी एक बेहद मुश्किल कार्य था। और तो और विद्यालय में मेरे अलावा कोई नियमित शिक्षक नहीं था। विद्यालय भी मात्र एक शिक्षामित्र के भरोसे था।
लेकिन मैंने हार नहीं मानी और यहीं से मैने अपनी सोच  और उर्जा को एक नयी दिशा के साथ एकत्रित करके अपना कार्य शुरू किया। विद्यालय समय के पश्चात आस-पास के क्षेत्रों में संध्या एवं रात्रि में भ्रमण करके विद्यालय में बच्चों की संख्या को 100 के पार पहुँचाया और लगातार ध्यान देते हुए विद्यालय की नियमित उपस्थति को भी 85-90 के बीच बनाये रखा। यदि कोई विद्यार्थी स्कूल नहीं आया तो उसके घर जाकर उसके बारे में जानकारी ली। और इस तरह बच्चों के अभिभावकों के बीच अपनी जगह बनायी। मैंने अपनी सोच में एक विचारधारा को शामिल किया कि *"दशा बदलेगी तो दिशा बदलेगी"* के साथ एक नये लक्ष्य को लिया और वह था----
*विद्यालय एवं बच्चों के लिए समाज की भूमिका।*
क्योंकि शिक्षा विभाग से मिलने वाली गौण सुविधाओं से यह संभव नहीं था। समाज की इस भूमिका को तय करते हुए मैने अपने नगर की कुछ प्रमुख समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से विद्यालय को पानी की बेहतर सुविधा, बच्चों के लिये प्रतिमाह हैल्थ चेकप कैंप, डेंटल चेकप कैंप के अतिरिक्त बच्चों के लिये जूते, आईकार्ड, जर्सियाँ, मौजे, कैप के अतिरिक्त संस्था द्वारा विद्यालय की चारदीवारी को मजबूत कराया। इसी दौरान हमारे प्रयासों से विद्यालय से एक होनहार बालिका कु.स्वाति का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 में हो गया जो विद्यालय के लिए गर्व का विषय था। लेकिन मेरे द्वारा किये गये कार्यों को जबरदस्त गति , प्रशंसा और उर्जा तब मिली जब हमारे जनपद में प्राथमिक शिक्षा के प्रति बेहद गंभीर, सख्त और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले  माननीय जिलाधिकारी महोदय श्री नागेंद्र प्रसाद सिहं का आगमन हुआ। जिन्होंने आते ही सर्वप्रथम जनपद की प्राथमिक शिक्षा की समीक्षा बैठके लेनी शुरू की। उस दौरान मैने नगर क्षेत्र की प्राथमिक शिक्षा के प्रति विपरीत परिस्थतियों के बावजूद अपने अथक प्रयास से बहुत दूर स्थित ढेवा जाति (कूडा बीनने वाले लोग) के पास दिन-रात बैठक करके वहाँ के 67 बच्चों का प्रवेश अपने विद्यालय में कराया और लगातार विद्यालय में उनकी उपस्थति सुनिश्चित की।
यह सुनकर जिलाधिकारी महोदय एक माह में चार बार मेरे विद्यालय में आये और हमारी मेह़नत और लगन से प्रभावित होकर प्रशंसा करते हुए, उन्होंने हमें विद्यालय के बच्चों सहित अपने आवास पर दीवाली मनाने के लिये विशेष रूप से आमंत्रित किया। मेरे लिये जीवन का वो अविस्मरणीय क्षण था जहाँ उन्होंने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में किये गये इस योगदान के लिये मंच पर खुले दिल से सराहना करते हुए मुझे सम्मानित किया। और जब वे  बालदिवस मनाने मेरे विद्यालय में आये तो बच्चों के लिये ढेर सारे उपहार लेकर आये और मेरे आग्रह पर उन्होंने विशेष रुप से मिड डे मील खाकर मीडिया बंधुओं के सामने मेरी और मेरी मेहनत की जमकर प्रशंसा की और मेरा तभी से मुझे मेरा विद्यालय उच्च श्रेणी के विद्यालयों की सूची में खड़ा होता दिखाई देने लगा।
मित्रों मेरी योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा, मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट अभी बाकी था । जिसके लिए मैं बहुत समय से प्रयासरत था। क्योंकि मैंने  कूड़ा बीनने वाले बच्चों के कुपोषित जीवन को अपनी आँखों से देखा और महसूस किया था। और मेरे जीवन का वह महत्वपूर्ण क्षण भी जल्दी ही आया जब मैने अपने बेहद अथक प्रयास से अपने नगर के एक समाजसेवी, किसान और उद्योगपति द्वारा अपने विद्यालय के बच्चों के लिये रोजाना एक गिलास गरमागरम दूध की व्यवस्था की शुरूआत करायी। और अपने इस विद्यालय को प्रदेश में प्रथम स्थान लाकर खड़ा कर दिया। जहाँ सबसे पहले सबसे पहले ऐसी व्यवस्था लागू कर दी गयी। मित्रो इस प्रयास की सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि दूध की सारी व्यवस्था उस समाजसेवी के घर से तैयार होकर आती थी। इस बेहद कठिन प्रयास की जहाँ जिलाधिकारी महोदय ने खुले दिल से प्रशंसा की तो वहीं इस प्रयास को मीडिया ने जबरदस्त कवरेज देकर इसकी सराहना की। इस दूध वितरण योजना के अथक प्रयास के लिये राष्ट्रीय स्तर के अंग्रेजी के एक अग्रणी समाचार पत्र हिन्दुस्तान टाइम्स ने मेरा साक्षात्कार लेकर उसे अपने समाचार पत्र में विशेष स्थान दिया। यही नहीं इस प्रयास के लिये विभिन्न प्रमुख समाचार चैनलों ने विद्यालय आकर मेरा साक्षात्कार लिया जिसे अलग-अलग विभिन्न प्रमुख राष्ट्रीय चैनलों पर प्रसारित किया गया। इस कार्य एवं शिक्षा के क्षेत्र मे इस अतुलनीय प्रयास के लिये मुझे शिक्षा विभाग की ओर से जनपद का सर्वोच्च शिक्षक चुना गया। इसके अलावा नगर चेयरमेन द्वारा भी मुझे बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्रयास के लिये सम्मानित किया। साथ ही साथ हमारे शहर की विभिन्न अग्रणी संस्थाओं द्वारा भी भी सम्मानित किया गया।
मित्रो मेरे लिए गर्व की बात है कि जब  इस प्रयास की गूजं  उत्तर-प्रदेश शासन तक पहुँची तो शासन ने भी इसे कुपोषण के विरोध में जंग मानते हुए अगले सत्र से दूध को अपने मीनू में शामिल करते हुए प्रत्येक बुधवार को इसके वितरण को सुनिश्चित किया।
मेरे द्वारा शुरु की गयी इस योजना को और अधिक सम्मान तब मिला जब स्टार प्लस पर आयोजित श्री अमिताभ बच्चन जी के शो  " आज की रात है जिन्दगी" में इस योजना को दिनाकं 10 जनवरी 2016 को प्रसारित किया गया। मित्रों मुझे गर्व है कि मेरे द्वारा शुरु की गयी दूध वितरण योजना आज प्रदेश के सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के मीनू मे प्रत्येक बुधवार को लागू है।
मित्रों जब मैं अपने प्रयासों को सार्थक करता हुआ आगे बड़ रहा था। तभी इसी बीच विभाग ने मेरी पदोन्नति प्रधानाध्यापक के  पद पर करते हुए एक नये विद्यालय में मेरा स्थानान्तरण कर दिया गया। वहाँ भी विद्यालय केवल एक महिला शिक्षामित्र के भरोसे था और विद्यालय में नामांकन तकरीबन 90-100 के बीच था और वहाँ भी कठिन परिस्थितियाँ मुँह बाए खड़ी थी। इस नयी जिम्मेदारी को फिर से अपने कंधो पर लेकर मैंनेI वहाँ भी मैने घर - घर संपर्क करके और विभिन्न प्रकार के नामांकन कार्यक्रम चलाकर आज विद्यालय में बच्चों की संख्या को लगभग 350 के पास पहुँचा दिया है। आज मेरा नया विद्यालय भी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं से युक्त है। आज मुझे फख्र है कि नगर की विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ मेरे विद्यालय में अपने कार्यक्रम आयोजित करने में अपना सम्मान समझते  हैं। अभी कुछ माह पूर्व ही इस विद्यालय के लिये किये गये प्रयासों के लिये नगर शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक चुना गया है। मित्रों मेरा मानना है कि  *शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है परन्तु पहले ये भी आवश्यक है कि वह स्वयं का निर्माण करे।*
मेहनत करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए  किसी प्रसिद्ध शायर ने भी क्या खूब कहा है--
*"कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"*
मित्रो अगर प्रयास लगन और मेहनत से किया जाये। तो सब कुछ सम्भव है।
मित्रो अपनी इस संघर्ष यात्रा में मै अपनी प्रशंसा वाले चित्र न भेजकर वो चित्र आपको भेज रहा हूँ जो यकीनन ये प्रदर्शित करने के लिये काफी है कि मैने शिक्षा को समाज से जोडते हुए विद्यालय और बच्चों के लिये बहुत सम्मान प्राप्त किया और भविष्य में भी मेरा ये प्रयास निरन्तर जारी रहेगा। आप सब की शुभकामनाओं और आशीर्वाद के साथ .........
नीरज गोयल  (प्रधानाध्यापक), प्रा.वि.नं.-10 नगर क्षेत्र शामली,
जनपद-शामली
मित्रो आप ने पढ़ा कि किस प्रकार प्रयासों की छोटी- छोटी बूँदों ने एक लहर पैदा करके दिखा दी। जो हम सबके लिए अनुकरणीय है। अतः मिशन संवाद की ओर से नीरज जी सहित समस्त विद्यालय परिवार को उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ बहुत- बहुत शुभकामनाएँ!
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
31/07/2016

Comments

Total Pageviews