१५९- संजीव तोमर,पूर्व माध्यमिक विद्यालय कठौतिया इटावा
मित्रो आज हम आप को संघर्ष, साहस, और शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान के प्रति सजग शिक्षक भाई से परिचय करा रहे हैं। जो दबंगई और दहशत में भी अपने पथ से विचलित नहीं हुए। जिसने अपने घर से दूर दुर्गम और दबंग ग्रामीण परिवेश में भी शिक्षा की अलख जगाने के लिए शिक्षक धर्म के पथ को नहीं छोड़ा है।
शायद हमारे शिक्षक भाई को एक शिक्षक की मानवीय जीवन में उपयोगिता भलीभाँति पता है। लोग दुनियाँ में परिवर्तन की बात करते हैं लेकिन यदि शिक्षक अपने शिक्षक धर्म पर उतर आये तो यह भ्रष्टाचार और दबंगई का समूल नाश हो जाये। क्योंकि एक शिक्षक सामाजिक परिवर्तन की प्राथमिक कड़ी होता है। उसके हाथ में वह अदृश्य शक्ति होती है। जो सामाजिक परिवर्तन के लिए क्रान्तिकारी साबित हो सकती है। क्योंकि शिक्षक के जीवन और उसकी शिक्षा का बालमन पर स्पष्ट और अमिट छाप के रूप में बच्चों के भावी जीवन में देखा जा सकता है।
तो पढ़ते हैं शिक्षा के लिए संघर्ष की कहानी सम्मानित भाई की जुबानी--'
👉 सम्मानित शिक्षक बहिनों और भाईयो--
जब हमने 11/12/2014 को विद्यालय में सेवा प्रारम्भ की। तब विद्यालय में मात्र 61 बच्चे ही नामांकित थे। जिनमें से 38 बच्चे फर्जी थे। जिनके नाम तो सरकारी विद्यालय में लिखे थे लेकिन पढ़ते प्राईवेट स्कूल में थे। सबसे पहले हमने उन सभी फर्जी बच्चों के नाम जैसे ही विद्यालय से काटे। हमारे लिए संघर्ष और परीक्षा के दिन शुरू हो गये। दबंगों से गम्भीर धमकियाँ मिलना शुरू हो गयी। विभाग में शिकायत करने पर वही घिसा- पिटा जबाव नौकरी करो, एडजस्ट करके चलो। लेकिन यह बात हमें धिक्कारने लगी। एक बार तो हम बुरी तरह डर भी गये। क्योंकि मेरे घर से स्कूल की 90 km आना जाना है। लेकिन एक बात हमारे मन में थी कि जब हमने विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया था तो हमारे NPRC ने कहा था कि उस विद्यालय को हम कबाड़ा कहते हैं। जहाँ आप सुधारने की बात कर रहे हैं। वहाँ का परिवेश बहुत खराब है।
यह बात हमारे अन्दर बुरी तरह से चुभ गई थी। कि हम इस कबाड़ स्कूल को सम्मानित और सफल स्कूल कैसे बना पायें। जो हमें चैन नहीं लेने देती थी।
उसके बाद हमने धीरे- धीरे SMC के सदस्यों से और अभिभावकों से संपर्क करना शुरू किया। समिति की विद्यालय में पहली बैठक की। जिसमें केवल 5 लोग हिम्मत करके आये। फिर कोशिश की 15 दिन बाद 14 लोग आये। तो उनसे पूछा गया कि आप लोग क्यों अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाते है। लोगों ने विद्यालय की कई कमियां बताई। मैंने कहा की एक बार विश्वास करके देखिये। हमारा प्रयास होगा कि आप लोगों की सभी शिकायतों को धीरे- धीरे दूर करने की कोशिश करेंगे।
हमारे कैंपस में ही UPS भी है जिसमें उस समय 23 बच्चे नामांकित थे लेकिन 2012 से यह बंद था। आज उसमें भी 55 बच्चे है जिसमें से 47 से 50 बच्चे रोज आते है। एक अध्यापक रियाजुद्दीन को उसमें अटेच कराया। क्योंकि हम दोनों इटावा ही रहते है। अतः हमने उन्हें एक सुझाव दिया कि हम दोनों एक ही गाड़ी से विद्यालय जायेंगे और महीने में जो पैसा बचेगा उस पैसे को विद्यालय सुधार में लगाया जाय। और साथ ही जिस मकान में रहता हूँ। उस मकान में कुछ बच्चे रहते हैं उन्हें शाम को एक घंटा ट्यूशन पढ़ाया। उससे हमें जो पैसे मिले। उसे विद्यालय के सुधार में लगाते रहे। जिससे विद्यालय के आन्तरिक बाह्य परिवेश में सुधार का काम जारी है। लेकिन हमारे प्रयासों को कुचलने का प्रयास भी कम नहीं किया गया। तीन बार हमारे लगवाये गये पेड़ - पौधों को नष्ट किया गया तथा खिडकियों को तोड़ कर किताबों सहित बहुत नुकसान किया गया।
विद्यालय में इस समय 2 स○ अ○ भी हैं। जो आज सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य कर रहे हैं।
पिछले वर्ष 138 बच्चे नामांकित थे। उपस्थिति बढ़ाने लिए हमने बच्चों को प्रति माह के अंत में नियमित आने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिये पुरुस्कार दिए। और स्कूल आने से पहले मोटर साइकल से पहले गाँव का चक्कर लगाया। समय- समय पर सभी बच्चों के साथ छुट्टी होने के पहले खेल कूद किया। पढ़ाई के लिए रियाजुद्दीन जो कि इंग्लिश के टीचर है उन्होंने हमारे बच्चों को इंग्लिश और हमने मिडिल के बच्चों को साइंस और गणित पढ़ाया। स्कूल की छुट्टी के बाद एक घंटा कमजोर बच्चों को पढ़ाया। जिससे बच्चों एवम् अविभावकों में विश्वास जगा।
विद्यायल का DPRO इटावा के द्वारा एवम् अनेक अधिकारियों द्वारा शैक्षिक निरिक्षण किया गया। जिसमें पहले से 75% सुधार मिला। विद्यालय के 2 बच्चों ने नवोदय और एक बच्चे ने विद्या ज्ञान की परीक्षा में उप्लब्धि प्राप्त की। हमारे विद्यालय के बच्चों ने प्रदेश स्तरीय खेल- कूद प्रतियोगिता में भी प्रतिभाग कर सम्मान प्राप्त किया।
अब विभाग के द्वारा भी प्रोत्साहन मिलने लगा। और समय- समय पर दूसरों के सामने हमारा उदाहरण दिया जाने लगा। समाज के द्वारा बहुत सम्मान मिलता है।
आज हमारे विद्यालय में 3 km की दूरी तक के बच्चे आते है। और 1 अप्रैल से 20 मई तक 48 बच्चों का नया नामांकन हुआ। जो एक बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि हमारे विद्यालय के पाँच सौ मीटर की परिधि में दो प्राईवेट स्कूल भी हैं। बच्चों का भी बहुत स्नेह मिलता है। मिडिल में आज तक एक भी एक टीचर नहीं आया। जो विभागीय कमजोरी को इटावा जैसे जनपद में भी दिखाई देता है।
मैं संजीव तोमर प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय कठौतिया, विकास खण्ड- ताखा, जनपद- इटावा अपने शिक्षक बंधुओं से निवेदन करते हैं कि यदि आप में कुछ नया करने की ललक है। तो कोई बाधा आपका रास्ता नहीं रोक सकती है। आप विपरीत परिस्थियों में भी बदलाव कर सकते है। बस जरुरत है एक नयी सोच परिवर्तन की। हम लोगों को सेवा करने का एक मौका मिला। कुछ ऐसा किया जाये की लोग आपको याद करें।,,,
मित्रो आपने एक शिक्षक की संघर्ष और सफलता की कहानी पढ़ी। जो वास्तव में हम शिक्षकों के लिए प्रेरक है।
शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए संघर्षरत ऐसे शिक्षक भाईयों को मिशन संवाद की ओर से सदैव उत्तरोत्तर उन्नति और उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ बहुत- बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बन कर अपने शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
👉🏼नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
13/06/2016
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