६०- शैलजा त्रिपाठी, प्रा० वि० भरतौल, बिथरी चैनपुर बरेली

मित्रो आज हम दीपकोत्सव की शुभकामनाओं के साथ आपको मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से सतत परिचय के क्रम में बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों की खोजशाला में जनपद- बरेली की वन्दनीय बहन शैलजा त्रिपाठी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने बेसिक शिक्षा की अल्प संसाधन की विभिन्न बहुप्रचारित योजनाओं के बीच भी आपसी सहयोग से अपने विद्यालय को नवीन गति प्रदान कर जनपद का आदर्श विद्यालय बनाने में सफलता प्राप्त की है। जो हम सबको आपसी सहयोग के लिए सोचने पर मजबूर करता है।  क्योंकि कई विद्यालयों में सफलता सिर्फ इसलिए दूर है कि हमारे आपसी सहयोग एवं बात करने में अहंकार हमें कमजोर करता हैं। आदर्श विद्यालय की सफलता का विवरण हम बहन जी के सम्मानित शब्दों के माध्यम से जान सकते हैं।---

हमारी इस प्राथमिक विद्यालय भरतौल की यात्रा का प्रारंभ माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी के अंग्रेजी माध्यम बेसिक विद्यालय के सिद्धांत पर हुआ। बरेली में अंग्रेजी माध्यम के लिए आयोजित परीक्षा के उपरांत जब मेरा चयन इस विद्यालय के लिए हुआ तब मन में एक जज्बा उभर कर आया, कि अब एक नया माहौल, नया विद्यालय मिलेगा। मेरे दिमाग में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की छवि थी जिसको लेकर जब मैं विद्यालय पहुँची तो विद्यालय की स्थिति देखकर अहसास हुआ कि यह तो किसी पिछड़े बेसिक विद्यालय जैसा ही है, इसको अंग्रेजी माध्यम बनाने से पहले क्या सोचा गया होगा?
खैर वहाँ पर अन्य चयनित शिक्षकों आनन्द जायसवाल और  शिवानी जौहरी से भी परिचय हुआ और एक दो दिन में ही हम तीनों ने एक बेसिक विद्यालय को एक श्रेष्ठ अंग्रेजी माध्यम विद्यालय बनाने का दृढ़ निश्चय कर लिया। क्योंकि:--
“दृढ़ निश्चय, सटीक रणनीति और सही मार्गदर्शन से बड़े -बड़े युद्ध जीत लिए जाते हैं„ 
इस वाक्य को अपना आदर्श बनाकर हमने अपने प्रयास प्रारंभ कर दिए। हमारे सामने सबसे पहली समस्या थी- बालकों की उपस्थिति!
विद्यालय में अप्रैल- 2015 मे 110 नामांकित विद्यार्थी थे। हमने उपस्थिति के लिए प्रार्थना सभा में हर कक्षा की 2 लाइनें लगवायी, एक नियमित आने वाले और दूसरी अनियमित आने वाले।
नियमित आने वाले बच्चों को प्रार्थना स्थल पर प्रोत्साहन दिया जाने लगा और कक्षा में उपस्थिति रजिस्टर सभी बच्चों को दिखाया गया। अब सारे बच्चों में स्वयं की उपस्थिति लगवाने का कौतूहल और उसके आधार पर प्रोत्साहन पाने की चाहत विकसित हो गयी, और यही नियम साफ और गन्दे आने वाले बच्चों पर भी लागू किया गया। इसी समय हमने अंग्रेजी माध्यम की तरह शिक्षक- अभिभावक की मीटिंग हर माह , अवकाश पर सूचना / प्रार्थना पत्र अनिवार्य कर दिया। इसके परिणाम काफी सुखद रहे।अभिभावकों के सीधे सम्पर्क के कारण हमारे विद्यालय की उपस्थिति में ठहराव तो हुआ ही अपितु सितम्बर आते- आते विद्यालय में 150 नामांकन हो गये जिनमें 135 हमेशा उपस्थित रहें। उपस्थिति बढ़ने पर हमें अधिक स्थान की आवश्यकता हुई। हालाँकि परिसर बड़ा था पर अनियमित था हमने इसको साफ करने का निश्चय किया लेकिन हमेशा इसे भी नया रूप देना चाहते थे इसलिए हमने इसे GO GREEN सिद्धांत में परिवर्तित कर लिया इसमें हम परिसर को साफ करने के साथ साथ पौधे भी लगाते हैं हर बच्चे ने अपना अपना पौधा लगाया। अब इसी को विस्तृत रूप देते हुए हमने हर बच्चे को उसके जन्मदिन पर एक पौधा लगाने की बात बतायी है।अब हमारे सामने परिसर के बाद, इतनी अधिक संख्या में बच्चों का होना और सिर्फ 3 शिक्षकों का होना,  यह भी अपने आप में बड़ा दायित्व था। हमने यहाँ पर school cabinet का निर्माण किया जिसमें School Captain, Vice Captain,  Food incharge,  Discipline incharge, cleanliness incharge, Cultural incharge, के साथ हर कक्षा के लिए Class Representative  भी बनाए गये। इससे हमारा विद्यालय सुचारु रूप से गतिमान अवस्था में आ गया। गति भी ईंधन पर ही निर्भर करती हैं अतः अब हमें ईंधन की आवश्यकता थी, और वह ईंधन था- हमारी गतिविधियों पर आधारित, नवाचार से परिपूर्ण शिक्षा और शिक्षण सहायक सामग्री।
हमने कई प्रकार के चार्ट, पोस्टर बनाए, अक्षर ज्ञान हेतु हमने विद्यालय के मैदान में मिट्टी का बोर्ड बनाकर उस पर स्लेट की तरह लिखने का अनुभव भी किया। इसके अलावा त्रिआयामी अक्षरों तथा अन्य शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रयोग से हमने सीखने की प्रक्रिया को और सरल व रोचक बनाया। इसके बाद हमने बच्चों को स्वयं एक अक्षर की भूमिका निभाकर के दो अक्षरों से मिलकर नये शब्द सिखाये। मात्र सात माह की अवधि में हमने पहचाना कि हमारे छोटे छोटे सफल प्रयासों में बच्चों ने जिस लगन और मेहनत से प्रतिभाग किया और हमें सुखद परिणाम दिये, उन परिणामों को विस्तृत रूप प्रदान करते हुए, हम अपने बच्चों को उनकी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए एक मंच देना चाह रहे थे जिसके फलस्वरूप आविर्भाव हुआ हमारे ★विद्यालय के वार्षिकोत्सव★ का।
इसमें हमने कार्यक्रमों को ऐसे समन्वित किया जिससे कि अधिक से अधिक बच्चों को अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले। इसलिए हमने समूह नृत्य , एकल नृत्य, वन्दना ,फैशन शो, नाटिका, काव्यपाठ जैसे कार्यक्रमों कार्यक्रम मंचन किया। हमारे इस कार्यक्रम में हमारे समस्त वरिष्ठ अधिकारी गण मौजूद रहें जिन्होंने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। हमारे अथक प्रयासों के कारण ही उस समय हमारे विद्यालय को जनपद के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय योजना में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। सर्वश्रेष्ठ विद्यालय का पुरस्कार न जीत पाने का मलाल तो था परन्तु उससे कहीं अधिक इस बात की खुशी थी कि मात्र आठ माह के छोटे अन्तराल में हमने जनपद के बाकी विद्यालयों को पीछे छोड़ते हुए यह अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की। अंग्रेजी माध्यम की स्वर्णिम सफलताओं को देखते हुए अब हम आगे अपने विद्यालय को तकनीकी रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। शैक्षिक स्तर में शत-प्रतिशत उन्नति करना हमारा सर्वप्रथम लक्ष्य है। प्रदेश स्तर तक विद्यालय व विद्यार्थियों की हर गतिविधि में सहभागिता हमारे प्रमुख उद्देश्यों में से एक हैं ।सफलता के शिखर पर पहुँचना आसान है परन्तु वहाँ बने रहना मुश्किल है। हमारे निरन्तर प्रयास, लगन और मेहनत ने हमें सफल बनाया, परन्तु हमारा सपना है *प्राथमिक विद्यालय भरतौल को जनपद का ही नहीं अपितु प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय बनाना*।
प्रा० वि० भरतौल का फेसबुक पेज:--https://www.facebook.com/psbhartaulssa/  है।
मित्रो आपने बहन जी का बेसिक शिक्षा के प्रति समर्पित भाव और सकारात्मक सोच को जाना। जो किस उत्साह के साथ विद्यालय को प्रदेश स्तरीय बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। ऐसी साहसी और सकारात्मक सोच की बहन को हम मिशन शिक्षण संवाद की ओर से कोटि- कोटि नमन करते हैं तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ समस्त सहयोगी विद्यालय परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएँ प्रदान करते हैं।
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते हैं  तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
27/10/2016

Comments

Post a Comment

Total Pageviews