चन्दन बनना
कठिन परिस्थितियों में तपकर
सीखें आओ कुन्दन बनना,
निपट भुजंग संग रहकर भी
आओ सीखें चन्दन बनना।
मित्र, शत्रु, अपना-पराया
तुम सदा तुला सम रहना,
प्रेम का सबको तिलक लगाना
सबका ही अभिनन्दन बनना।
आओ सीखें चन्दन बनना...
देख के दुनिया का कोलाहल
कदम न पीछे हटने पायें,
भव सागर से मोती चुनकर
माला जैसा बन्धन बनना।
आओ सीखें चन्दन बनना...
अमिय, हलाहल यहीं मिलेंगे
यहीं मिलेगा बैकुण्ठ धाम,
कसम कोई न टूटने पाये
ऐसा अटूट गठबन्धन बनना।
आओ सीखें चन्दन बनना...
जीवन पथ पर मिलने वाला
हर पथिक स्नेह न देगा,
तुम अपने मन, वचन, कर्म से
हर जीवन का वन्दन बनना।
आओ सीखें चन्दन बनना...
रचयिता
आरती रावत पुण्डीर,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय असिंगी,
विकास खण्ड-खिर्सू,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
Nice poem
ReplyDeleteबेहतरीन👌👌👌
ReplyDeleteशानदार
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