श्री देव सुमन

25 मई  1916  का ऎतिहासिक दिन 

  टिहरी जिले के ग्राम जौल में 

श्री हरिराम बडोनी और तारा देवी के घर 

 जन्म लिया श्री देव सुमन॥ 

 

   1919 में नियति ने पिता साया छीना

  माँ के आँचल में पलकर बड़ा हुआ 

बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री देव सुमन 

अनेक उपाधियों से हुए विभूषित। 


अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों से लड़ने 

कूद पड़े गांधी जी के संग आन्दोलन में 

नमक बनाने के जुर्म में 14 दिन की जेल से 

हुआ राजनैतिक जीवन  उनका आरम्भ 


 अपने कर्तव्य पथ पर निरन्तर बढते चले 

टिहरी की जनता को, टिहरी नरेश के 

जुल्मों से मुक्त कराने और हक दिलाने को 

'टिहरी प्रजामण्डल' का किया गठन। 


देखकर इनके बढ़ते वर्चस्व और यश को 

 रियासत ने अनेकों जुल्म कर बंद किया जेलों में 

टिहरी रियासत के बढते जुल्मों के  खिलाफ 

लिया फैसला सुमन ने आमरण अनशन का। 


84 दिन तक भूखे -प्यासे रहकर 

अनेक कष्ट और यातनायें सहकर 

25 जुलाई 1944 को देवत्व में विलीन होकर 

सदा -सदा के लिये अमर हो गये श्री देव सुमन॥ 


'तुम मुझे तोड़ सकते हो लेकिन मोड़ नहीं सकते' 

प्राणों को स्वाह कर किया अपने कथन को सत्य 

ऎसे अमर बलिदानी को, धरती के अमर सपूत को 

श्रद्धा से हाथ जोड़कर कोटि -कोटि नमन -वन्दन। 


रचयिता

विमला रावत,
सहायक अध्यापक,
राजकीय जूनियर हाईस्कूल नैल गुजराड़ा,
विकास क्षेत्र-यमकेश्वर,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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