ईद

मैं ईद पर्व हूँ,

रमजान के बाद आया।


दुआ की सबके खैर की, 

पैगाम प्रेम का लाया।


गले मिल नेह से सबके, 

जग में भाईचारा फैलाया।


खुशियाँ बाँटी यतीमों में,

उनका हमदर्द कहलाया।


कुछ हिस्सा अपनी आए का 

उनके लिए भी खर्च कराए।


मिल बाँट खाने हित सभी के,

सेवईं खीर का मिष्ठान लाया।


क्यूँ न रहें सदा ऐसे ही,

मिल मनाएँ, दीपावली, ईद, क्रिसमस।


रचयिता
अंजू गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय खम्हौरा प्रथम,
विकास क्षेत्र-महुआ, 
जनपद-बाँदा।



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