विश्व तम्बाकू निषेध दिवस
हर गली, मोहल्ले, नुक्कड़ में
पान की गुमटी होती
बड़े बुजुर्गों के संग बच्चे
धूम्रपान के आदी बनते।।
क्यों जानबूझकर बन अनजान
मौत को गले लगाते
कैंसर जैसी भयावह बीमारी से
खुद को बचा नहीं पाते।।
कश लेते सिगरेट की जी भर
छल्ले हवा में उड़ाते
माँ -बाप की गाड़ी कमाई
लड़के रोज बहाते।।
नहीं अछूतीं बेटियाँ भी अब तो
लड़को के संग कश है लेती
आधुनिकता की आड़ में डूबीं
जहर को गले लगातीं।।
फाड़ पाउच को मुख में डाले
अपनी शान समझते
पड़ते जब बीमार भयंकर
चक्कर क्लीनिक के काटें।।
खैनी, गुटखा, पान तम्बाकू
इस लत से बाहर निकलो
अनमोल जिंदगी पायी है तुमने
मौत के मुँह न झोंको।।
छोड़ तम्बाकू, पान मसाला
दूध, फल, मेवा खाएँ
नशा मुक्त हो भारत अपना
यह संकल्प अपनाएँ।
रचयिता
ज्योति अग्निहोत्री,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय शेखनापुर घाट,
विकास खण्ड-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।
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