हौसला रख मन

तू हौसला रख ऐ मन

सामना कर वक्त का,

दौर मुश्किल है  कुछ

खेल अजब समय का।


हर तरफ भय और निराशा

मौत का काला बादल छाया,

एक नन्हा सा जीव आज

विश्व काल है बन आया।


तू हौसला रख ऐ मन

सामना कर वक्त का,

दुख की रजनी छँट जाएगी

दीप जला एक आशा का।


घनघोर निशा ढलने पर

आता है नवल प्रभात,

यह संकट भी कट जाएगा

धैर्य व हिम्मत हों अपने साथ।


तू हौसला रख ऐ  मन

सामना कर वक्त का,

परीक्षा की घड़ी आज 

परिचय दे तू इंसान का।


विपत्ति की इस घड़ी में

न करना अंत मानवता का,

चंद कागज के टुकड़ों में

कर न देना सौदा ईमान का।


करें अंत हम ऐंसे विषाणुओं का

जो आपदा को साधन बना रहे,

लोलुपतावश व  संवेदनहीन हो

धनार्जन और सता प्राप्ति का।


तू हौसला रख ऐ मन

सामना कर वक्त का,

साथ मिलकर करेंगे हम 

अंत इस महामारी का।


रचयिता
रंजना डुकलान,
सहायक अध्यापक, 
राजकीय प्राथमिक विद्यालय धौडा़,
विकास खण्ड-कल्जीखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।


Comments

  1. लाजवाब रचना मैम
    सादर अभिनंदन

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  2. समसायिक बेहतरीन रचना 👌👌👌👌

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