अक्षय तृतीया
पावन पुण्य दिवस परिपाटी
सनातन धर्म को अक्षुण्ण रखती,
कार्य सफल हों सिद्ध सभी के,
"अक्षय" वैशाख की तृतीया रहती|
माँ लक्ष्मी और विष्णु जी की,
पूजा का है प्रमुख विधान,
कर्म विचार हों सबके निर्मल,
समस्त विश्व का हो कल्याण|
स्वर्ण या रजत को क्रय करना,
इस दिन शुभ है माना जाता,
जन्म-जन्म का नाता बँधता,
शुभ संयोग स्वयं बन जाता|
हर वर्ष की भाँति क्यों ना,
इसको हम शुभकारी बनाएँ,
महामारी पीड़ित जन हेतु,
मदद का एक अभियान चलाएँ|
मदद, दान को हाथ बढ़ाकर,
अपना फर्ज निभाएँ आओ,
"अक्षय" रहे हर घर की खुशियाँ,
ऐसा एक संकल्प उठाओ|
रचयिता
भारती खत्री,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,
विकास खण्ड-सिकंदराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
So nice poem
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