आतंकवाद विरोधी दिवस

सर्वप्रथम जाने हम इस दिवस का इतिहास,

ताकि फिर ना हो सके ज्ञान का ह्रास,

21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या,

विरोध प्रदर्शित करने का शुरू हुआ यह दिवस।


मानव बम बनकर आई महिला थी काल का रूप,

कई मौतें हुईं, उनका विकराल था रूप,

आतंकी संगठन लिट्टे से था संबंध,

तभी से आकर लिया आतंकवाद विरोधी दिवस का स्वरूप।


युवाओं की भूमिका को समाज का आवाह्न,

शांति और मानवता का ये है उद्बोधन,

हिंसा के पथ से समाज को दूर रखने का उद्देश्य,

एकता को बढ़ावा देना, आमजन की पीड़ा को उजागर करना।


विविध प्रतियोगिता का आयोजन है होता,

वाद-विवाद, लेखन, चित्रकला से भाव प्रकट होता,

आतंकवाद विरोधी कार्यक्रम की भी उपयोगिता,

देशप्रेम शपथ का भी आवश्यक हिस्सा होता।


देश हमारा सर्वोपरि यह विचारणीय तथ्य है,

न कम हो देश की आन, बान, शान यह लक्ष्य है,

सभी वर्गों के बीच सामाजिक सद्भाव हो कायम,

अहिंसा, सहनशीलता, परंपरा में दृढ़ विश्वास स्मरणीय है।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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