परिवार

परिवार होता रिश्तों का खजाना,

परिवार का हर रिश्ता अनमोल।

सब रहते आपस में मिलजुल कर,

स्नेह के धागे से बँधी होती इसकी डोर।


माता करतीं दिन भर काम,

कभी ना करतीं वो आराम।

प्रेम से हम बच्चों को लोरी सुनातीं,

रात को थपकी देकर सुलातीं।


पापा दिखते बाहर से सख्त,

मन से हम सब पर प्यार लुटाते।

दादा-दादी हमें कहानियाँ सुनाते,

अच्छे संस्कार हमें सिखाते।


भाई-बहन की वो नोक झोंक,

झगड़ा फिर एक-दूसरे को मनाना।

चाचा-चाची सब मिलकर,

आपस में हँसी खुशी रहते।


परिवार पर आती जो कोई मुसीबत

सब मिलकर कर लेते पार।

परिवार की पूँजी अनमोल,

नहीं है कोई इसका मोल।


रचनाकार

मृदुला वर्मा,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,

विकास खण्ड-अमरौधा,

जनपद-कानपुर देहात।

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