बुद्ध पूर्णिमा पर नमन
सांसारिक मोह माया तज कर,
वन गमन आसान नहीं होता।
कृत संकल्प हुए बिना कोई जग में,
सिद्धार्थ से बुद्ध महान नहीं होता।।
563 ईसा पूर्व शाक्य कुल लुम्बिनी में,
शुद्धोधन, महामाया घर अवतारे थे।
पत्नी यशोधरा पुत्र राहुल को छोड़,
दिव्य ज्ञान को महल से पधारे थे।।
साधना लीन वर्षों तक बोधि वृक्ष तले,
बोधि गया में परम ज्ञान पाया।
आर्य सत्य, अष्टांग मार्ग, निर्वाण, त्रिरत्न,
और पंचशील दे नव मार्ग हमें दिखलाया।।
सर्वजन हिताय बुद्ध धर्म बनाकर,
सारनाथ को बुद्ध धाम किया।
आनन्द को प्रिय शिष्य बना करके,
483 ईसा पूर्व कुशीनगर में निर्वाण लिया||
रचयिता
डॉ0 अनुराग पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय औरोतहरपुर,
विकास खण्ड-ककवन,
जनपद-कानपुर नगर।
Very nice 👌
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