आतंकवाद

आतंकवाद की छाया से,

हम भारत को बचाएँगे।

हम भारतवासी मिलकर,

आतंकवाद मिटाएँगे।


पड़े कटाना शीश यदि,

बिल्कुल ना घबराएँगे।

आतंकवाद के कदमों में,

हम ना शीश झुकाएँगे।


सत्य अहिंसा के पथ पर,

हम चलकर दिखलाएँगे।

सदाचार और संस्कारों को,

हम सदा अपनाएँगे।


मानवता की रक्षा को हम,

आतंकी मार गिराएँगे।

बाँध कफ़न केसरिया हम,

दुश्मन को औकात दिखाएँगे।


मानव के भेष में दैत्यों को,

हम चुन चुन कर मारेंगे।

आतंकवाद के आकाओं से,

हम वीर कभी ना हारेंगे।


शिक्षा की ज्योति जलाकर,

भारत को जागरूक बनाएँगे,

सुख शान्ति और अमन से,

हम चैन की वंशी बजाएँगे।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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