सुमित्रानंदन पंत
एक सुमित्रानंदन वो जो,
राम संग वनवास गए।
एक सुमित्रानंदन पंत,
साहित्यिक प्रतिबिंब बने।।
आज पुनः धरा ने ओढ़ी,
हरियाली की चादर है।
प्रकृति भी श्रृंगार कर,
हुई याद में विह्वल है।।
छायावाद के चार प्रमुख,
स्तंभों में एक विशेष।
नवीन धारा के बने प्रवर्तक,
गाँव कौसानी में स्मृति शेष।।
1926 में प्रसिद्ध 'पल्लव' का,
काव्य संकलन हुआ प्रकाशित।
मार्क्स और फ्रायड की,
विचारधारा ने किया प्रभावित।।
इलाहाबाद में पंत जी की,
काव्य चेतना जागी थी।
छोड़ा महाविद्यालय जब,
राष्ट्रभक्ति पुकारी थी।।
अरविंद आश्रम में किया,
आध्यात्मिकता का विकास।
कविता संकलन 'चिदंबरा' ने,
दिलाया ज्ञानपीठ सम्मान।।
'कला और बूढ़ा चाँद' था,
पर्याय साहित्य अकादमी का।
रचनाएँ करें प्रखर स्वरों में,
प्रगतिवाद की उद्घोषणा।।
प्रकृति, नारी- सौंदर्य बने,
केंद्र काव्य रचना का।
प्रकृति के सुकुमार कवि ने,
भौतिक दर्शन भी छुआ।।
युग दृष्टा युग प्रवर्तक,
आप भाव कला संपन्न।
1977 में सांसारिक जीवन,
छोड़ किया स्वर्ग गमन।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
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