मेरी चाय की कहानी

आओ सबको आज बताऊँ,

अपनी चाय की कहानी।

थोड़ी सी शरारत भरी,

है थोड़ी जिसमें मनमानी।।


चाय बहुत पसंद मुझे,

गरमागरम झट पी जाऊँ।

छोटी-छोटी खुशियों में,

मन बोले चाय बनाऊँ।।


चाय की ताजी चुस्कियाँ,

लाए रिश्तों में गर्माहट।

चाय संग सुहानी हो,

सुबह शाम की आहट।।


चाय पियो रंग हो साँवला,

कहावत ये बड़ी पुरानी।

करो रसास्वादन एक बार,

भूल जाओगे सब कहानी।।


दिन भर की थकान को,

झटपट से दूर भगाए।

चाय पीने का मजा तो,

परिवार संग ही आए।।


यूँ ही हो चाय उत्पादन,

न कोई बाधा आए।

प्रतिवर्ष 21 मई को,

अन्तर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाएँ।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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