हिंदी पत्रकारिता दिवस

हाय विडंबना कैसी थी,

देखो परतंत्र भारत में।

हिंदी का अखबार न था,

हिंदी भाषी भारत में।।


बांग्ला 'समाचार दर्पण' में,

छोटा सा कोना पाया।

हिंदी भाषा के भाग्य में,

एक ऐसा भी दिन आया।।


विचारों के सागर में,

हिंदी पाठक था डूब रहा।

तभी पंडित जुगल किशोर ने,

नवयुग का आगाज किया।।


मन में आए बीज को,

एक सुंदर रूप दिया।

उदंत मार्तंड नाम का,

हिंदी अखबार शुरू किया।।


30 मई 1826 से ,

प्रकाशन प्रारंभ हुआ।

वर्तमान पत्रकारिता की,

वह आधारशिला बना।।


अंग्रेजों की नाक में,

इस कदर खुजली हुई।

प्रकाशित हुए अखबार के,

केवल उन्यासी अंक ही।।


फिर हिंदी पत्रकारिता के,

आधार उद्भव का दिन आया।

वटवृक्ष बन गये बीज के,

स्मरण का दिन आया।।


दिखलाकर कलम की ताकत,

फिर सकारात्मक मोड़ दो।

हिंदी पत्रकारिता को समझो,

अंग्रेजी का मोह छोड़ दो।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



Comments

  1. अति उत्तम विचाराभिव्यक्ति हेतु बधाई मंगलकामनाये।

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